Difference between revisions of "जय जयभारतमाता"
(2 intermediate revisions by one other user not shown) | |||
Line 2: | Line 2: | ||
=पृष्ठभूमि/संधर्भ= | =पृष्ठभूमि/संधर्भ= | ||
=मुख्य उद्देष्य= | =मुख्य उद्देष्य= | ||
+ | कवि इस कविता मे भारत माता का गुणगाण कर रहे है। कवि प्रर्थना कर रहे है कि इस देश के पावन आंगन मे अंधेरा हटे और ज्ञान मिले। सब लोग मिलजुल कर भारत माता के यश की गाथा गायए। | ||
+ | |||
=कवि परिचय= | =कवि परिचय= | ||
राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त (३ अगस्त १८८६ – १२ दिसम्बर १९६४) हिन्दी के कवि थे। महावीर प्रसाद द्विवेदी जी की प्रेरणा से आपने खड़ी बोली को अपनी रचनाओं का माध्यम बनाया और अपनी कविता के द्वारा खड़ी बोली को एक काव्य-भाषा के रूप में निर्मित करने में अथक प्रयास किया और इस तरह ब्रजभाषा जैसी समृद्ध काव्य-भाषा को छोड़कर समय और संदर्भों के अनुकूल होने के कारण नये कवियों ने इसे ही अपनी काव्य-अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया। हिन्दी कविता के इतिहास में गुप्त जी का यह सबसे बड़ा योगदान है। पवित्रता, नैतिकता और परंपरागत मानवीय सम्बन्धों की रक्षा गुप्त जी के काव्य के प्रथम गुण हैं, जो पंचवटी से लेकर जयद्रथ वध, यशोधरा और साकेत तक में प्रतिष्ठित एवं प्रतिफलित हुए हैं। साकेत उनकी रचना का सर्वोच्च शिखर है। | राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त (३ अगस्त १८८६ – १२ दिसम्बर १९६४) हिन्दी के कवि थे। महावीर प्रसाद द्विवेदी जी की प्रेरणा से आपने खड़ी बोली को अपनी रचनाओं का माध्यम बनाया और अपनी कविता के द्वारा खड़ी बोली को एक काव्य-भाषा के रूप में निर्मित करने में अथक प्रयास किया और इस तरह ब्रजभाषा जैसी समृद्ध काव्य-भाषा को छोड़कर समय और संदर्भों के अनुकूल होने के कारण नये कवियों ने इसे ही अपनी काव्य-अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया। हिन्दी कविता के इतिहास में गुप्त जी का यह सबसे बड़ा योगदान है। पवित्रता, नैतिकता और परंपरागत मानवीय सम्बन्धों की रक्षा गुप्त जी के काव्य के प्रथम गुण हैं, जो पंचवटी से लेकर जयद्रथ वध, यशोधरा और साकेत तक में प्रतिष्ठित एवं प्रतिफलित हुए हैं। साकेत उनकी रचना का सर्वोच्च शिखर है। | ||
Line 8: | Line 10: | ||
=अतिरिक्त संसाधन= | =अतिरिक्त संसाधन= | ||
+ | '''सारे जहाँ से अच्छा''' <br>{{#widget:YouTube|id=W1R7Yr10RJI}}<br> | ||
+ | {{#widget:YouTube|id=Ak_Umc-sssw}}<br> | ||
+ | |||
=सारांश= | =सारांश= | ||
=परिकल्पना= | =परिकल्पना= |
Latest revision as of 11:33, 14 September 2016
परिकल्पना नक्षा
पृष्ठभूमि/संधर्भ
मुख्य उद्देष्य
कवि इस कविता मे भारत माता का गुणगाण कर रहे है। कवि प्रर्थना कर रहे है कि इस देश के पावन आंगन मे अंधेरा हटे और ज्ञान मिले। सब लोग मिलजुल कर भारत माता के यश की गाथा गायए।
कवि परिचय
राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त (३ अगस्त १८८६ – १२ दिसम्बर १९६४) हिन्दी के कवि थे। महावीर प्रसाद द्विवेदी जी की प्रेरणा से आपने खड़ी बोली को अपनी रचनाओं का माध्यम बनाया और अपनी कविता के द्वारा खड़ी बोली को एक काव्य-भाषा के रूप में निर्मित करने में अथक प्रयास किया और इस तरह ब्रजभाषा जैसी समृद्ध काव्य-भाषा को छोड़कर समय और संदर्भों के अनुकूल होने के कारण नये कवियों ने इसे ही अपनी काव्य-अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया। हिन्दी कविता के इतिहास में गुप्त जी का यह सबसे बड़ा योगदान है। पवित्रता, नैतिकता और परंपरागत मानवीय सम्बन्धों की रक्षा गुप्त जी के काव्य के प्रथम गुण हैं, जो पंचवटी से लेकर जयद्रथ वध, यशोधरा और साकेत तक में प्रतिष्ठित एवं प्रतिफलित हुए हैं। साकेत उनकी रचना का सर्वोच्च शिखर है।
सोर्स एवम अधिक जानकारी- क्लिक कीजिये
अतिरिक्त संसाधन
सारे जहाँ से अच्छा
सारांश
परिकल्पना
शिक्षक के नोट
गतिविधि
- विधान्/प्रक्रिया
- समय
- सामग्री / संसाधन
- कार्यविधि
- चर्चा सवाल
भाषा विविधता
शब्दकॊश
शब्दकॊश का प्रयोग करने के लिये यहाँ क्लिक कीजिये