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[[Hindi_2015-16_STF_KOER_workshops |Hindi Subject Teacher Forum workshops]] launches the virtual learning forum for Hindi teachers
 
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आपने दिया 'दिया'
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समय की .. इस अनवरत बहती धारा में ..
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अपने चंद सालों का .. हिसाब क्या रखें .. !!
  
शुक्रिया, शुक्रिया <br>
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जिंदगी ने .. दिया है जब इतना .. बेशुमार यहाँ ..
आपने हमें दिया<br>
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तो फिर .. जो नहीं मिला उसका हिसाब क्या रखें .. !!
उबुन्टु का 'दिया'|<br>
 
नाच उटा जिया,<br>
 
  
जब हाथ् में लिया |<br>
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दोस्तों ने .. दिया है .. इतना प्यार यहाँ ..
उबुन्टु का दिया,<br>
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तो दुश्मनी .. की बातों का .. हिसाब क्या रखें .. !!
रास्ता दिख़ाया|<br>
 
लेके उसके दया,<br>
 
  
कुछ और बनाया |<br>
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दिन हैं .. उजालों से .. इतने भरपूर यहाँ ..
छात्रों को दिख़ाया,<br>
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तो रात के अँधेरों का .. हिसाब क्या रखे .. !!
ज्योति जलाया |<br>
 
वह उनको भाया,<br>
 
  
अब हिन्दी ही पिया|<br>
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खुशी के दो पल .. काफी हैं .. खिलने के लिये ..
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तो फिर .. उदासियों का .. हिसाब क्या रखें .. !!
  
- सुचेतना प
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हसीन यादों के मंजर .. इतने हैं जिंदगानी में ..
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तो चंद दुख की बातों का .. हिसाब क्या रखें .. !!
  
Suchethana.P
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मिले हैं फूल यहाँ .. इतने किन्हीं अपनों से ..
GHS Kallya, karkala
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फिर काँटों की .. चुभन का हिसाब क्या रखें .. !!
Udupi dist.
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चाँद की चाँदनी .. जब इतनी दिलकश है ..
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तो उसमें भी दाग है .. ये हिसाब क्या रखें .. !!
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जब खयालों से .. ही पुलक .. भर जाती हो दिल में ..
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तो फिर मिलने .. ना मिलने का .. हिसाब क्या रखें .. !!
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कुछ तो जरूर .. बहुत अच्छा है .. सभी में यारों ..
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फिर जरा सी .. बुराइयों का .. हिसाब क्या रखें .. !!!
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(Poem shared on Hindi Sahitya Whatsapp group by Veeru Charantimath sir)

Latest revision as of 05:38, 31 December 2016

Hindi Subject Teacher Forum workshops launches the virtual learning forum for Hindi teachers

समय की .. इस अनवरत बहती धारा में .. अपने चंद सालों का .. हिसाब क्या रखें .. !!

जिंदगी ने .. दिया है जब इतना .. बेशुमार यहाँ .. तो फिर .. जो नहीं मिला उसका हिसाब क्या रखें .. !!

दोस्तों ने .. दिया है .. इतना प्यार यहाँ .. तो दुश्मनी .. की बातों का .. हिसाब क्या रखें .. !!

दिन हैं .. उजालों से .. इतने भरपूर यहाँ .. तो रात के अँधेरों का .. हिसाब क्या रखे .. !!

खुशी के दो पल .. काफी हैं .. खिलने के लिये .. तो फिर .. उदासियों का .. हिसाब क्या रखें .. !!

हसीन यादों के मंजर .. इतने हैं जिंदगानी में .. तो चंद दुख की बातों का .. हिसाब क्या रखें .. !!

मिले हैं फूल यहाँ .. इतने किन्हीं अपनों से .. फिर काँटों की .. चुभन का हिसाब क्या रखें .. !!

चाँद की चाँदनी .. जब इतनी दिलकश है .. तो उसमें भी दाग है .. ये हिसाब क्या रखें .. !!

जब खयालों से .. ही पुलक .. भर जाती हो दिल में .. तो फिर मिलने .. ना मिलने का .. हिसाब क्या रखें .. !!

कुछ तो जरूर .. बहुत अच्छा है .. सभी में यारों .. फिर जरा सी .. बुराइयों का .. हिसाब क्या रखें .. !!!

(Poem shared on Hindi Sahitya Whatsapp group by Veeru Charantimath sir)