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− | + | समय की .. इस अनवरत बहती धारा में .. | |
+ | अपने चंद सालों का .. हिसाब क्या रखें .. !! | ||
− | + | जिंदगी ने .. दिया है जब इतना .. बेशुमार यहाँ .. | |
− | + | तो फिर .. जो नहीं मिला उसका हिसाब क्या रखें .. !! | |
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− | + | तो दुश्मनी .. की बातों का .. हिसाब क्या रखें .. !! | |
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− | + | दिन हैं .. उजालों से .. इतने भरपूर यहाँ .. | |
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− | + | खुशी के दो पल .. काफी हैं .. खिलने के लिये .. | |
+ | तो फिर .. उदासियों का .. हिसाब क्या रखें .. !! | ||
− | + | हसीन यादों के मंजर .. इतने हैं जिंदगानी में .. | |
+ | तो चंद दुख की बातों का .. हिसाब क्या रखें .. !! | ||
− | + | मिले हैं फूल यहाँ .. इतने किन्हीं अपनों से .. | |
− | + | फिर काँटों की .. चुभन का हिसाब क्या रखें .. !! | |
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+ | चाँद की चाँदनी .. जब इतनी दिलकश है .. | ||
+ | तो उसमें भी दाग है .. ये हिसाब क्या रखें .. !! | ||
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+ | जब खयालों से .. ही पुलक .. भर जाती हो दिल में .. | ||
+ | तो फिर मिलने .. ना मिलने का .. हिसाब क्या रखें .. !! | ||
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+ | कुछ तो जरूर .. बहुत अच्छा है .. सभी में यारों .. | ||
+ | फिर जरा सी .. बुराइयों का .. हिसाब क्या रखें .. !!! | ||
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+ | (Poem shared on Hindi Sahitya Whatsapp group by Veeru Charantimath sir) |
Latest revision as of 05:38, 31 December 2016
Hindi Subject Teacher Forum workshops launches the virtual learning forum for Hindi teachers
समय की .. इस अनवरत बहती धारा में .. अपने चंद सालों का .. हिसाब क्या रखें .. !!
जिंदगी ने .. दिया है जब इतना .. बेशुमार यहाँ .. तो फिर .. जो नहीं मिला उसका हिसाब क्या रखें .. !!
दोस्तों ने .. दिया है .. इतना प्यार यहाँ .. तो दुश्मनी .. की बातों का .. हिसाब क्या रखें .. !!
दिन हैं .. उजालों से .. इतने भरपूर यहाँ .. तो रात के अँधेरों का .. हिसाब क्या रखे .. !!
खुशी के दो पल .. काफी हैं .. खिलने के लिये .. तो फिर .. उदासियों का .. हिसाब क्या रखें .. !!
हसीन यादों के मंजर .. इतने हैं जिंदगानी में .. तो चंद दुख की बातों का .. हिसाब क्या रखें .. !!
मिले हैं फूल यहाँ .. इतने किन्हीं अपनों से .. फिर काँटों की .. चुभन का हिसाब क्या रखें .. !!
चाँद की चाँदनी .. जब इतनी दिलकश है .. तो उसमें भी दाग है .. ये हिसाब क्या रखें .. !!
जब खयालों से .. ही पुलक .. भर जाती हो दिल में .. तो फिर मिलने .. ना मिलने का .. हिसाब क्या रखें .. !!
कुछ तो जरूर .. बहुत अच्छा है .. सभी में यारों .. फिर जरा सी .. बुराइयों का .. हिसाब क्या रखें .. !!!
(Poem shared on Hindi Sahitya Whatsapp group by Veeru Charantimath sir)