Difference between revisions of "सूर -श्याम"
Nandeesh M (talk | contribs) (→प्रश्न) |
Nandeesh M (talk | contribs) |
||
(15 intermediate revisions by the same user not shown) | |||
Line 7: | Line 7: | ||
='''कवि परिचय'''= | ='''कवि परिचय'''= | ||
+ | |||
+ | |||
+ | '''नाम''' :-[https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B8 सूरदास]<br> | ||
+ | |||
'''जन्म''' :- उत्तर प्रदॆश कॆ रुनकता गाँव मॆ हुआथा 1540<br> | '''जन्म''' :- उत्तर प्रदॆश कॆ रुनकता गाँव मॆ हुआथा 1540<br> | ||
− | '''इनकी मृत्यु''' :- 1642 | + | |
+ | '''इनकी मृत्यु''' :- 1642<br> | ||
सुरदाजी कॊ हिंदी साहित्यकाश कॆ सुर्य मानॆ जातॆ है।<br> | सुरदाजी कॊ हिंदी साहित्यकाश कॆ सुर्य मानॆ जातॆ है।<br> | ||
ईन्हॆ भक्तिकाल की सुगुण भक्तिधारा की '''कृष्णभक्ति शाखा''' | ईन्हॆ भक्तिकाल की सुगुण भक्तिधारा की '''कृष्णभक्ति शाखा''' | ||
कॆ प्रवर्तक माना जाता है।<br> | कॆ प्रवर्तक माना जाता है।<br> | ||
+ | |||
'''इनकी रजनाएँ''' :- ‘सुरसागर’, ‘ सुरसारावली’ एवं<br> | '''इनकी रजनाएँ''' :- ‘सुरसागर’, ‘ सुरसारावली’ एवं<br> | ||
Line 65: | Line 71: | ||
१०. चुटकी दे-देकर हँसनेवाले कौन थे ? <br> | १०. चुटकी दे-देकर हँसनेवाले कौन थे ? <br> | ||
− | =''' | + | ='''उपयोगी वीडियो'''= |
{{#widget:YouTube|id=xTSOQyipNL4}} | {{#widget:YouTube|id=xTSOQyipNL4}} |
Latest revision as of 13:08, 13 October 2015
सूर -श्याम
१). कवि परिचय
२). साहित्यलहरी
३). शब्दार्थ
४). प्रश्न
कवि परिचय
नाम :-सूरदास
जन्म :- उत्तर प्रदॆश कॆ रुनकता गाँव मॆ हुआथा 1540
इनकी मृत्यु :- 1642
सुरदाजी कॊ हिंदी साहित्यकाश कॆ सुर्य मानॆ जातॆ है।
ईन्हॆ भक्तिकाल की सुगुण भक्तिधारा की कृष्णभक्ति शाखा
कॆ प्रवर्तक माना जाता है।
इनकी रजनाएँ :- ‘सुरसागर’, ‘ सुरसारावली’ एवं
साहित्यलहरी
इनकि काव्यॊं मॆ वात्सल्य, त्रृंगार, तथा भक्ति का त्रिवॆणी संगम हुआ है?
मैया मोहिं दाऊ बहुत खिझायो |
मोसों कहत मोल को लीनो, तोहि जसुमति कब जायो ||
कहा कहौं इहि रिस के मारे, खेलन हौं नहिं जात |
पुनि पुनि कहत कौन है माता, को है तुमरो तात ||
गोरे नंद जसोदा गोरी,तुम कत स्याम सरीर |
चुटकी दै दै हँसत ग्वाल, सब सिखै देत बलबीर ||
तू मोहिं को मारन सीखी दाउहि कबहुँ न खीझै |
मोहन को मुख् रिस समेत लखि, जसुमति सुनि सुनि रीझै ||
सुनहु कान्ह बलभद्र चबाई जनमत ही को धूत |
‘सूर' स्याम मोहिं गोधन की सौं हौं माता तू पूत||
शब्दार्थ
मैया = माँ
के मारे = के कारण
चबाई = चुगलखोर
मोहिं = मुझे
तुमरो=तुम्हारे
जनमत = ज्न्म से ही
दाऊ = भैय्या (बलराम)
तातु = पिता
धूत = दुष्ट्
खिझाना = चिढाना
कत = क्यों
लखि = देखकर
मोसो = मुझसे
स्याम =काला
सौं = कसम, सौगंध
मोल = मूल्य,दाम
ग्वाल = गोपालक
हौं = मैं
तोहि = तुझे
सिखै = सिखाना
पूत = पुत्र
प्रश्न
०१. सूर-श्याम के रचयिता कौन हैं ?
०२.सूरदास किस शाखा के प्रवर्तक हैं ?
०३. सूरदास जी का जन्म स्थान कौनसा है ?
०४. कृष्ण की शिकायत किसके प्रति है ?
०५. बालकृष्ण का रंग कैसा था ?
०६. बालकृष्ण को कौन चिढाता है ?
०७. सभी ग्वाल कैसे हँसते हैं ?
०८. बालकृष्ण को देखकर ग्वालों को हँसना किसने सिखाया ?
०९. यशोदा किसकी कसम खाती है ?
१०. चुटकी दे-देकर हँसनेवाले कौन थे ?
उपयोगी वीडियो