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सद् + कार = सत्कार<br>
 
सद् + कार = सत्कार<br>
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==विसर्ग सन्धि==
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विसर्ग (ः) के साथ स्वर या व्यंजन के मेल पर विसर्ग सन्धि होती है। यथा<br>
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निः + अक्षर = निरक्षर<br>
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दुः + आत्मा = दुरात्मा<br>
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निः + पाप = निष्पाप<br>
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1. विसर्ग के साथ च या छ के मेल पर विसर्ग के स्थान पर ‘श्’ बन जाता है<br>
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निः + चय = निश्चय<br>
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दुः + चरित्र = दुश्चरित्र<br>
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ज्योतिः + चक्र = ज्योतिश्चक्र<br>
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निः + छल = निश्छल<br>
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विच्छेद<br>
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तपश्चर्या = तपः + चर्या<br>
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अन्तश्चेतना = अन्तः + चेतना<br>
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हरिश्चन्द्र = हरिः + चन्द्र<br>
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अन्तश्चक्षु = अन्तः + चक्षु<br>
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2.विसर्ग के साथ ‘श’ के मेल पर विसर्ग के स्थान पर भी ‘श्’बन जाता है।<br>
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दुः + शासन = दुश्शासन<br>
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यशः + शरीर = यशश्शरीर<br>
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निः + शुल्क = निश्शुल्क<br>
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विच्छेद<br>
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निश्श्वास = निः + श्वास<br>
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चतुश्श्लोकी = चतुः + श्लोकी<br>
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निश्शंक = निः + शंक<br>
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3. विसर्ग के साथ ट, ठ या ष के मेल पर विसर्ग के स्थान पर ‘ष्’ बन जाता है<br>
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धनुः + टंकार = धनुष्टंकार<br>
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चतुः + टीका = चतुष्टीका<br>
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चतुः + षष्टि = चतुष्षष्टि<br>
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4. यदि विसर्ग के पहले वाले वर्ण में अ या आ के अतिरिक्त अन्य कोई स्वर हो तथा<br>
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विसर्ग के साथ मिलने वाले शब्द का प्रथम वर्ण क,<br>
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ख, प, फ में से कोई भी हो तो विसर्ग<br>
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के स्थान पर ‘ष्’ बन जायेगा।<br>
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निः + कलंक = निष्कलंक<br>
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दुः + कर = दुष्कर<br>
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आविः + कार = आविष्कार<br>
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चतुः + पथ = चतुष्पथ<br>
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निः + फल = निष्फल<br>
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विच्छेद<br>
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निष्काम = निः + काम<br>
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निष्प्रयोजन = निः + प्रयोजन<br>
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बहिष्कार = बहिः + कार<br>
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निष्कपट = निः + कपट<br>
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ज्योतिष्कण = ज्योतिः + कण<br>
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5. यदि विसर्ग के पहले वाले वर्ण में<br>
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अ या आ का स्वर हो तथा विसर्ग के बाद क,ख, प, फ हो तो सन्धि होने पर विसर्ग भी ज्यों का त्यों बना रहेगा यथा<br>
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अधः + पतन = अध: पतन<br>
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प्रातः + काल = प्रात: काल<br>
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अन्त: + पुर = अन्त: पुर<br>
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वय: क्रम = वय: क्रम<br>
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विच्छेद<br>
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रज: कण = रज: + कण<br>
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तप: पूत = तप: + पूत<br>
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पय: पान = पय: + पान<br>
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अन्त: करण = अन्त: + करण<br>
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अपवाद<br>
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भा: + कर = भास्कर<br>
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नम: + कार = नमस्कार<br>
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पुर: + कार = पुरस्कार<br>
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श्रेय: + कर = श्रेयस्कर<br>
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बृह: + पति = बृहस्पति<br>
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पुर: + कृत = पुरस्कृत<br>
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तिर: + कार = तिरस्कार<br>
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6. विसर्ग के साथ त या थ के मेल पर विसर्ग के स्थान पर ‘स्’ बन जायेगा।<br>
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अन्त: + तल = अन्तस्तल<br>
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नि: + ताप = निस्ताप<br>
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दु: + तर = दुस्तर<br>
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नि: + तारण = निस्तारण<br>
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विच्छेद<br>
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निस्तेज = निः + तेज<br>
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नमस्ते = नम: + ते<br>
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मनस्ताप = मन: + ताप<br>
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बहिस्थल = बहि: + थल<br>
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7. विसर्ग के साथ ‘स’ के मेल पर विसर्ग के स्थान पर ‘स्’ बन जाता है।<br>
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नि: + सन्देह = निस्सन्देह<br>
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दु: + साहस = दुस्साहस<br>
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नि: + स्वार्थ = निस्स्वार्थ<br>
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दु: + स्वप्न = दुस्स्वप्न<br>
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विच्छेद<br>
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निस्संतान = नि: + संतान<br>
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दुस्साध्य = दु: + साध्य<br>
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मनस्संताप = मन: + संताप<br>
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पुनस्स्मरण = पुन: + स्मरण<br>
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8. यदि विसर्ग के पहले वाले वर्ण में ‘इ’ व ‘उ’ का स्वर हो तथा विसर्ग के बाद ‘र’हो तो सन्धि होने पर विसर्ग का तो लोप हो जायेगा साथ ही ‘इ’ व ‘उ’ की मात्रा ‘ई’ व ‘ऊ’
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की हो जायेगी।<br>
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नि: + रस = नीरस<br>
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नि: + रव = नीरव<br>
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नि: + रोग = नीरोग<br>
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दु: + राज = दूराज<br>
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विच्छेद<br>
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नीरज = नि: + रज<br>
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नीरन्द्र = नि: + रन्द्र<br>
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चक्षूरोग = चक्षु: + रोग<br>
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दूरम्य = दु: + रम्य<br>
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9. विसर्ग के पहले वाले वर्ण में ‘अ’ का स्वर हो तथा विसर्ग के साथ अ के
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अतिरिक्त
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अन्य किसी स्वर के मेल पर विसर्ग का लोप हो जायेगा तथा
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अन्य कोई परिवर्तन नहीं होगा।<br>
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अत: + एव = अतएव<br>
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मन: + उच्छेद = मनउच्छेद<br>
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पय: + आदि = पयआदि<br>
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तत: + एव = ततएव<br>
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10. विसर्ग के पहले वाले वर्ण में ‘अ’ का स्वर हो तथा विसर्ग के साथ अ,
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ग, घ, ड॰,
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´, झ, ज, ड, ढ़, ण, द, ध, न, ब, भ, म, य, र, ल, व, ह में से किसी भी वर्ण के मेल पर
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विसर्ग के स्थान पर ‘ओ’ बन जायेगा।<br>
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मन: + अभिलाषा = मनोभिलाषा<br>
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सर: + ज = सरोज<br>
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वय: + वृद्ध = वयोवृद्ध<br>
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यश: + धरा = यशोधरा<br>
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मन: + योग = मनोयोग<br>
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अध: + भाग = अधोभाग<br>
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तप: + बल = तपोबल<br>
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मन: + रंजन = मनोरंजन<br>
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विच्छेद<br>
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मनोनुकूल = मन: + अनुकूल<br>
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 +
मनोहर = मन: + हर<br>
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 +
तपोभूमि = तप: + भूमि<br>
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 +
पुरोहित = पुर: + हित<br>
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 +
यशोदा = यश: + दा<br>
 +
 +
अधोवस्त्र = अध: + वस्त्र<br>
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 +
अपवाद<br>
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 +
पुन: + अवलोकन = पुनरवलोकन<br>
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पुन: + ईक्षण = पुनरीक्षण<br>
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 +
पुन: + उद्धार = पुनरुद्धार<br>
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 +
पुन: + निर्माण = पुनर्निर्माण<br>
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 +
अन्त: + द्वन्द्व = अन्तद्र्वन्द्व<br>
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अन्त: + देशीय = अन्तर्देशीय<br>
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अन्त: + यामी = अन्तर्यामी<br>
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