Difference between revisions of "शिक्षा"

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नाम : ठाकुर गोपालशरण सिंह[https://www.google.co.in/search?q=%E0%A4%A0%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A5%81%E0%A4%B0+%E0%A4%97%E0%A5%8B%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%B6%E0%A4%B0%E0%A4%A3+%E0%A4%B8%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%B9&client=ubuntu&hs=viX&channel=fs&source=lnms&tbm=isch&sa=X&ved=0CAgQ_AUoAmoVChMImMSkxYqAyAIVzxmOCh1SgQRK&biw=1366&bih=562 click here]<br>
 
जन्म स्थान : रीवाँ  (झाँसी)[https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%B5%E0%A4%BE click here]<br>
 
जन्म स्थान : रीवाँ  (झाँसी)[https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%B5%E0%A4%BE click here]<br>
 
माता का नाम :  प्रभुराज कुंवारी<br>
 
माता का नाम :  प्रभुराज कुंवारी<br>
 
पिता का नाम : ठाकूर जगत बहादूर सिंह था|<br>
 
पिता का नाम : ठाकूर जगत बहादूर सिंह था|<br>
 
रचनाएँ : जगदालोक, माधवी, मानवी, कादंबिनी, ज्यॊतिष्मती, संचिता, सुमन, विश्वगीत और ग्रमिक आदि|<br>
 
रचनाएँ : जगदालोक, माधवी, मानवी, कादंबिनी, ज्यॊतिष्मती, संचिता, सुमन, विश्वगीत और ग्रमिक आदि|<br>
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इस कविता के लिए ५ अवधि की आवश्यकता है |पहली अवधि में संगीत साधनों की पहचानने का क्रियाकलाप् |<br>
 
इस कविता के लिए ५ अवधि की आवश्यकता है |पहली अवधि में संगीत साधनों की पहचानने का क्रियाकलाप् |<br>

Revision as of 13:12, 18 September 2015

शिक्षा

१ ) संदर्भ
२) उद्देश्य
३) कवि परिचय
४) पाठयोजना
५) अतिरिक्त संसाधन
६) सारांश
१ ) भाषा वैविद्य

संदर्भ

मनष्य पैदा होते ही कुछ सीखकर् नहीं आता| समय और प्रयत्न के साथ सीख लेते हैं|
श्रम के बिना कुछ हासिल नहीं कर सकते|
इस कविता में कवि अनुभव के द्वारा शिक्षा पाने के अनेक उदाहरण दिये गये हैं|

जीवन में यश प्राप्त करने के लिए अनेक प्रकार की मुसीबतॊं का सामना करना पडता हैं
| बिन परिश्रम के हम कभी सुख प्राप्त नहीं कर सकते|

उद्देश्य

उद्देश्य:सामान्य
1. रसग्रहण करना
2. प्रशंसा करना
3. कविताओं में रुची उत्पन्न करना|
4. शब्दकोश का उपयोग कराना |
5. राग ताल के साथ गायन करना |
विशिष्ट उद्देश्य
१. प्रयत्न से सफ़लता मिलती है|
२. कुछ पाने के लिए कुछ् खोना पडता है
३. यश की प्राप्ती आसान नहीं है|
४. कवी परिचय कराना |

कवि परिचय

नाम : ठाकुर गोपालशरण सिंहclick here
जन्म स्थान : रीवाँ (झाँसी)click here
माता का नाम : प्रभुराज कुंवारी
पिता का नाम : ठाकूर जगत बहादूर सिंह था|
रचनाएँ : जगदालोक, माधवी, मानवी, कादंबिनी, ज्यॊतिष्मती, संचिता, सुमन, विश्वगीत और ग्रमिक आदि|

पाठयोजना

इस कविता के लिए ५ अवधि की आवश्यकता है |पहली अवधि में संगीत साधनों की पहचानने का क्रियाकलाप् |
दॊसरे अवधी में कविता पढते हुए राग संयोजन करेंगे | र्दॊसरा कियाकलाप् करेंगे | तीसरे अवधी में शब्दकोश का
उपयोग , ऒर भावार्थ करायेंगें | चॊते अवधी में अब्यास के प्रश्नोत्तर | पांचवे अवधी में अतिरिक्त गीत, आदी संसाधन
को दिखायेंगें | संसाधनों को बीच् में भी दिखा सकते हैं|

अतिरिक्त संसाधन

१. बाँसुरी २. सैनिक गीत click ३. रोना click 4. हँसना click