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From Karnataka Open Educational Resources
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बचपन में बच्चे को अपनी मातृभाषा व उससे अतिरिक्त भाषाओं को अर्जित करने में कोई विशेष प्रयास की अपेक्षा न होने के बारे में विश्वास न करने का कोई कारण नहीं है।  शिक्षक की भूमिका व्याकरण के नियमों को पढाने में या
 
बचपन में बच्चे को अपनी मातृभाषा व उससे अतिरिक्त भाषाओं को अर्जित करने में कोई विशेष प्रयास की अपेक्षा न होने के बारे में विश्वास न करने का कोई कारण नहीं है।  शिक्षक की भूमिका व्याकरण के नियमों को पढाने में या
ग्रंथों का संक्षिप्त व्याख्या करने में नहीं है बल्की  Krashen अक्सर हमें याद दिलाते हैं कि बच्चों को बहुभाषाओं के विभिन्न् क्षेत्रों से परिचित कराने का मुक्त वातावरण में उनका मार्गदर्शन करना है।  बच्चों को दिये गए क्रियाकलापों का मुख्य आशय व स्ंदेश के होने के साथ साथ उनकी सोचने की क्षमता को बढाना; सोच भाषा से अलग नहीं है, भाषा प्रभुत्व सहजता से विकसित होता है।
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ग्रंथों का संक्षिप्त व्याख्या करने में नहीं है बल्की  Krashen अक्सर हमें याद दिलाते हैं कि बच्चों को बहुभाषाओं के विभिन्न् क्षेत्रों से परिचित कराने का मुक्त वातावरण में उनका मार्गदर्शन करना है।  बच्चों को दिये गए क्रियाकलापों का मुख्य आशय व स्ंदेश के होने के साथ साथ उनकी सोचने की क्षमता को बढाना; सोच भाषा से अलग नहीं है, भाषा प्रभुत्व सहजता से विकसित होता है।  
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भाषा परस्पर एक दूसरे के स्ंगत में सीखी जाती है; स्वरूप से वे मूलतः पनपता है; अन्य भाषाओं से स्ंपृक्त रहकर बिसरी जाती है।
 
भाषा परस्पर एक दूसरे के स्ंगत में सीखी जाती है; स्वरूप से वे मूलतः पनपता है; अन्य भाषाओं से स्ंपृक्त रहकर बिसरी जाती है।
 
    
 
    
'तृटियां' भाषा सीखने की प्रक्रिया के विभिन्न स्तरों में अनिवार्य है; आगे चलकर वे लुप्त हो जाते हैं। शिक्षक द्वारा तृटियों को सुधारने में जो समय नष्ट होता है (वे तृटियां बच्चे के वातावरण के हिसाब से सही है।) वही समय बच्चे को विभिन्न भाषाओं से परिचित कराने  
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'तृटियां' भाषा सीखने की प्रक्रिया के विभिन्न स्तरों में अनिवार्य है; आगे चलकर वे लुप्त हो जाते हैं। शिक्षक द्वारा तृटियों को सुधारने में जो समय नष्ट होता है (वे तृटियां बच्चे के वातावरण के हिसाब से सही है।) वही समय बच्चे को विभिन्न भाषाओं से परिचित कराने की प्रक्रिया के अंतर्गत उचित योजना तैयार करते हुए नवीनतम् क्रियाकलापों के जरिए बहु भाषाओं से सुपरिचित कराना ही उचित है। भाषा मात्र कौशलों की माला ही नहीं सु, बो, प्, लि (सुनना, बोलना, पढना, लिखना) उपर्युक्त व्याख्या के अनुसार, वह हममें से एक है; यह  एक साधन भी है और म्ंजिल भी है  और इन् दोनों का अलग रूप से व्याख्या देना, इन्हें अपने आप में एक अद्भुत ज्ञान है। भाषा को समग्र रूप से अर्जित किया जाता है जहां संपूर्ण पठ्य वस्तु (वह एक तस्वीर, एक दोहा, एक कहानी, अथवा एक विज्ञापन)कक्षा के क्रियाकलाप का केंद्रबिंदु बने।  
की प्रक्रिया के अंतर्गत उचित योजना तैयार करते हुए नवीनतम् क्रियाकलापों के जरिए बहु भाषाओं से सुपरिचित कराना ही उचित है।
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भाषा मात्र कौशलों की माला ही नहीं सु, बो, प्, लि (सुनना, बोलना, पढना, लिखना) उपर्युक्त व्याख्या के अनुसार, वह हममें से एक है; यह  एक साधन भी है और म्ंजिल भी है  और इन् दोनों का अलग रूप से व्याख्या देना, इन्हें अपने आप में एक अद्भुत ज्ञान है।
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भाषा को समग्र रूप से अर्जित किया जाता है जहां संपूर्ण पठ्य वस्तु (वह एक तस्वीर, एक दोहा, एक कहानी, अथवा एक विज्ञापन)कक्षा के क्रियाकलाप का केंद्रबिंदु बने।  
            
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