कबीर के दोहे
परिकल्पना नक्षा
पृष्ठभूमि/संधर्भ
पाठयोजना
5 E's | अधिगम बिंदु | क्रियाकलाप
बोधन सामग्री तंत्र एवं साधन शिक्षक स्वावलोकन | |||
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ENGAGE | पूर्व ज्ञान की जाँच | कन्नड़ तथा हिंदी के सन्त एवं दास एवंकवियों चित्र दिखाकर उनकी कुछ सूक्तियों के बारे में चर्चा करना । | कन्नड़ तथा हिंदी के सन्त एवं दास कवियों के चित्र | अवलोकन - चर्चा | |
EXPLORE | सूक्तियाँ | छात्र अपने ज्ञान के आधार पर चर्चा करेंगे | |||
EXPRESS | *पाठ परिचय
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*कवि परिचय का चार्ट
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लिखवाना । | |||||
EXPAND | *भाषाभ्यास
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1.छात्रों की हर एक टोली को एक एक दोहा देकर उसमें आए लिंग संबन्धी शब्दों की सूची बनवाना ।
2.पठित दोहों की कन्नड़ के दास कवियों की रचनाओं से तुलना पर चर्चा करवाना । |
पुस्तक | अवलोकन | |
EVALUATION | आकलन बिंदु
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Contributed by K I DAMBAL ,G H S KOTUR, DHARWAD RURAL
मुख्य उद्देष्य
कवि परिचय
कबीर हिंदी साहित्य के महिमामण्डित व्यक्तित्व हैं। कबीर के जन्म के संबंध में अनेक किंवदन्तियाँ हैं। कुछ लोगों के अनुसार वे रामानन्द स्वामी के आशीर्वाद से काशी की एक विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से पैदा हुए थे, जिसको भूल से रामानंद जी ने पुत्रवती होने का आशीर्वाद दे दिया था। ब्राह्मणी उस नवजात शिशु को लहरतारा ताल के पास फेंक आयी।
कबीर के माता- पिता के विषय में एक राय निश्चित नहीं है कि कबीर "नीमा' और "नीरु' की वास्तविक संतान थे या नीमा और नीरु ने केवल इनका पालन- पोषण ही किया था। कहा जाता है कि नीरु जुलाहे को यह बच्चा लहरतारा ताल पर पड़ा पाया, जिसे वह अपने घर ले आया और उसका पालन-पोषण किया। बाद में यही बालक कबीर कहलाया।
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अतिरिक्त संसाधन
सारांश
परिकल्पना
शिक्षक के नोट
गतिविधि
- विधान्/प्रक्रिया
- समय
- सामग्री / संसाधन
- कार्यविधि
- चर्चा सवाल