आत्मकथा (आत्म्कथांश)

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परिकल्पना नक्षा

पृष्ठभूमि/संधर्भ

मुख्य उद्देष्य

लेखक से परिचय

रावलपिंडी पाकिस्तान में जन्मे भीष्म साहनी (८ अगस्त १९१५- ११ जुलाई २००३) आधुनिक हिन्दी साहित्य के प्रमुख स्तंभों में से थे। १९३७ में लाहौर गवर्नमेन्ट कॉलेज, लाहौर से अंग्रेजी साहित्य में एम ए करने के बाद साहनी ने १९५८ में पंजाब विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि हासिल की। भारत पाकिस्तान विभाजन के पूर्व अवैतनिक शिक्षक होने के साथ-साथ ये व्यापार भी करते थे। विभाजन के बाद उन्होंने भारत आकर समाचारपत्रों में लिखने का काम किया। बाद में भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा) से जा मिले। इसके पश्चात अंबाला और अमृतसर में भी अध्यापक रहने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय में साहित्य के प्रोफेसर बने। १९५७ से १९६३ तक मास्को में विदेशी भाषा प्रकाशन गृह (फॉरेन लॅग्वेजेस पब्लिकेशन हाउस) में अनुवादक के काम में कार्यरत रहे। यहां उन्होंने करीब दो दर्जन रूसी किताबें जैसे टालस्टॉय आस्ट्रोवस्की इत्यादि लेखकों की किताबों का हिंदी में रूपांतर किया। १९६५ से १९६७ तक दो सालों में उन्होंने नयी कहानियां नामक पात्रिका का सम्पादन किया। वे प्रगतिशील लेखक संघ और अफ्रो-एशियायी लेखक संघ (एफ्रो एशियन राइटर्स असोसिएशन) से भी जुड़े रहे। १९९३ से ९७ तक वे साहित्य अकादमी के कार्यकारी समीति के सदस्य रहे।

भीष्म साहनी को हिन्दी साहित्य में प्रेमचंद की परंपरा का अग्रणी लेखक माना जाता है।[1] वे मानवीय मूल्यों के लिए हिमायती रहे और उन्होंने विचारधारा को अपने ऊपर कभी हावी नहीं होने दिया। वामपंथी विचारधारा के साथ जुड़े होने के साथ-साथ वे मानवीय मूल्यों को कभी आंखो से ओझल नहीं करते थे। आपाधापी और उठापटक के युग में भीष्म साहनी का व्यक्तित्व बिल्कुल अलग था। उन्हें उनके लेखन के लिए तो स्मरण किया ही जाएगा लेकिन अपनी सहृदयता के लिए वे चिरस्मरणीय रहेंगे। भीष्म साहनी हिन्दी फ़िल्मों के जाने माने अभिनेता बलराज साहनी के छोटे भाई थे। उन्हें १९७५ में तमस के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार, १९७५ में शिरोमणि लेखक अवार्ड (पंजाब सरकार), १९८० में एफ्रो एशियन राइटर्स असोसिएशन का लोटस अवार्ड, १९८३ में सोवियत लैंड नेहरू अवार्ड तथा १९९८ में भारत सरकार के पद्मभूषण अलंकरण से विभूषित किया गया। उनके उपन्यास तमस पर १९८६ में एक फिल्म का निर्माण भी किया गया था।

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अतिरिक्त संसाधन

उपन्यास - झरोखे, तमस, बसन्ती, मायादास की माडी, कुन्तो, नीलू निलिमा निलोफर।

कहानी संग्रह - मेरी प्रिय कहानियां, भाग्यरेखा, वांगचू, निशाचर।

नाटक - हनूश (१९७७), माधवी (१९८४), कबीरा खड़ा बजार में (१९८५), मुआवज़े (१९९३)।

आत्मकथा - बलराज माय ब्रदर।

बालकथा- गुलेल का खेल।

सारांश

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परिकल्पना

शिक्षक के नोट

गतिविधि

  1. विधान्/प्रक्रिया
  2. समय
  3. सामग्री / संसाधन
  4. कार्यविधि
  5. चर्चा सवाल

भाषा विविधता

शब्दकॊश

व्याकरण / सजावट / पिंगल

मूल्यांकन

I. मौखिक प्रश्न : 1. लेखक का बचपन किससे वंचित था ?
उत्तर :- लेखक का बचपन खेल-कूद से वंचित था ।
2. लेखक बिस्तर पर से उठते ही क्या करते थे ?
उत्तर :- लेखक बिस्तर पर से उठते ही घर से दूर भाग जाते थे ।
3. कालेज में अध्यापन के साथ-साथ लेखक किस चीज़ का व्यापर करते थे ?
उत्तर :- कालेज में अध्यापन के साथ-साथ लेखक कपडों का व्यापर करते थे ।
4. लेखक के दिमाग पर सहित्य के अतिरिक्त किनका प्रभाव था ?
उत्तर :- लेखक के दिमाग पर सहित्य के अतिरिक्त गाँधीवादी विचारों का भी प्रभाव था ।
5. लेखक के पिताजी किसके प्रेमी थे ?
उत्तर :- लेखक के पिताजी शेख – सादी के प्रेमी थे ।
6. लेखक की बुआ की बेटी का नाम क्या था ?
उत्तर :- लेखक की बुआ की बेटी का नाम श्रीमती सत्यवती मलिक था ।

II. लिखित प्रश्न :
अ. एक वाक्य में उत्तर लिखिए :
1. भीष्म साहनी और उनके अध्यापक कहाँ सैर कर रहे थे ?
उत्तर :- भीष्म साहनी और उनके अध्यापक कैण्टोनमेण्ट में सैर कर रहे थे ।
2. रेस्तराँ का मालिक कौन था ?
उत्तर :- रेस्तराँ का मालिक कोई चीनी व्यक्ति था ।
3. भीष्म साहनी की माता के खजाने में क्या-क्या भरा हुआ था ?
उत्तर :- भीष्म साहनी की माता के खजाने में कवित्त, कहानियाँ तथा गीत भरे थे ।
4. लेखक ने गाँधीजी को निकटता से कहाँ देखा था ?
उत्तर :- लेखक ने गाँधीजी को निकटता से सेवाग्राम में देखा था ।
5. लेखक के भाई किन भाषाओं में बाकायदा लिखते थे ?
उत्तर :- लेखक के भाई अंग्रेजी तथा हिंदी में बकायदा लिखते थे ।
आ. दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :
1. भीष्म साहनी जी अन्य बालकों से क्यों जलते थे ?
उत्तर :- भीष्म साहनी बचपन में बीमारी के कारण खाट पर लेटे रहते थे । ऐसे में स्वस्थ, हँसते – खेलते लड़कों की तुलना में अपने को छोटा और असमर्थ समझकर उन बालकों से जलते थे।
2. भीष्म साहनी को रेस्तराँ के मालिक का व्यवहार क्यों असहनीय लगा ?
उत्तर :- भीष्म साहनी ने रेस्तराँ में लगभग आधे घंटे तक चाय का इंतजार किया था । रेस्तराँ के मालिक से उन्होने चाय लाने का आग्रह किया तो उसने “नो-टी, नो-टी” कहा और बड बडाता हुआ दूसरी ओर चला गया । यह देखकर साहनी जी को रेस्तराँ के मालिक का व्यवहार असहनीय लगा ।
3. अंग्रेजी अध्यापक से भीष्म साहनी को कैसी प्रेरणा मिली ?
उत्तर :- अंग्रेजी अध्यापक ने भीष्म साहनी जी को दकियानूसि, संकीर्ण, घुटन भरे वातावरण में से बाहर निकाल लिया । उन्ही के प्रभाव से साहनी जी सहित्य-रचना में कलम आजमाई करने लगे ।
4. साहनी जी ने किस उद्देश्य से खादी पहनना शुरू किया ?
उत्तर :- साहनी जी आंदोलन के दिनों में कुर्ता – पैजामा पहन कर सड़को पर घूमते थे । मन ही मन में उम्मीद कर रहे थे कि पुलिसवाले उनके पहनावे को देखकर सरकार के खिलाफ विद्रोह मानकर गिरफ्तार कर लेंगे । गिरफ्तार होना ही साहनी जी का उद्देश्य था पर ऐसा नहीं हुआ।
5. साहित्य के संबंध में साहनी जी की राय क्या है ?
उत्तर :- साहित्य के संबंध में साहनी जी राय इस प्रकार है – अपने से अलग साहित्य नाम की कोई चिज़ भी नहीं होती । जैसे मैं हूँ, वैसे ही मैं रचनाएँ भी रच पाऊँगा । मेरे संस्कार, अनुभव, व्यक्तित्व, दृष्टि सभी मिलकर रचना की सृष्टि करते हैं ।

इ. चार-छ: वाक्यों में उत्तर लिखिए :
1. साहनी जी अपनी नि:सहायकता मिटाने के लिए क्या-क्या करते थे ? उत्तर :- साहनी जी अपनी नि:सहायकता मिटाने के लिए घ्र में से निकल कर वे किसी ताँगे के पीछे भागकर उस पर चढ जाते थे । बाद में वे एक सड़क से दूसरी सड़क, एक बाज़ार से दूसरे बाज़ार में पागलों की तरह आसपास के नज़ारे देखते हुए जाने कहाँ – कहाँ घूमकर अंत में अपने घर लौटते थे ।
2. भीष्म साहनी का स्वाभिमान दर्शानेवाली एक घटना के बारे में लिखिए ।
उत्तर :- दूसरा विश्वयुद्ध छिड़ने से कुछ समय पहले बाज़ार तेज़ होने लगा था । अन्य व्यापरी लोग सैकडों कमा रहे थे । साहनी जी को व्यापारी कहते थे कि – “जहाँ पचास गाँठे दूकानदारों के लिए बुक करते हो, वँहा दस गाँठे अपने लिए भी बुक कर लिया करो ।” पर लेखक ईमानदारी के रास्ते पर चलते हुए अपने स्वाभिमान को दर्शाया ।
3. भीष्म साहनी के घर के साहित्यिक वातावरण का परिचय दीजिए ।
उत्तर :- जन्म से ही साहनी जी को साहित्यिक वातावरण मिला था । इनके पिताजी शेख-सादी के प्रशंसक थे । इनकी माँ के पास कवित्त, कहानियाँ तथा गीतों का संग्रह था । इनके बडे भाई अंग्रेजी तथा हिंदी में लेख लिखते थे । इनकी बुआ की बेटी सत्यवती मलिक का घर साहित्य केंद्र सा बना हुआ था ।

ई. रिक्त स्थानों को सही शब्दों से भरिए :
1. अछूता 2. साहित्यिक केंद्र 3. सत्यवती मलिक 4. विशाल भारत , हँस

उ. सही अर्थवाले शब्द चुनकर लिखिए :
1. हलचल - गतिविधि
2. तालीम - शिक्षा
3. विद्रोह - क्रांति
4. दफ्तर - कार्यालय

ऊ. निम्नलिखित शब्दों के दो-दो पर्यायवाची शब्द लिखिए :
1. शाम - संध्या, सूर्यास्त
2. माल - वस्तु, सामान
3. दिनिया - जगत् , संसार
4. बोझ - वज़न , भार
5. उम्मीद – भरोसा , आशा


ए. नीचे दिए गए शब्दों में उपसर्ग/प्रत्यय जोड़कर नये शब्द बनाइए :
1. अ + स्वस्थ = अस्वस्थ
2. राजनीति + इक = राजनैतिक
3. बे + रोज़गारी = बेरोज़गारी
4. गाँधी + जी = गाँधीजी
5. दूकान + दार = दूकानदार
6. अ + संभव = असंभव
7. साहित्य + कार = साहित्यकार

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