ईमानदारों केस्म्मेलन में (व्यंग्य रचना)

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परिकल्पना नक्षा

पृष्ठभूमि/संधर्भ

मुख्य उद्देष्य

लेखक से परिचय

हरिशंकर परसाई (२२ अगस्त, १९२४ - १० अगस्त, १९९५) हिंदी के प्रसिद्ध लेखक और व्यंग्यकार थे। उनका जन्म जमानी, होशंगाबाद, मध्य प्रदेश में हुआ था। वे हिंदी के पहले रचनाकार हैं जिन्होंने व्यंग्य को विधा का दर्जा दिलाया और उसे हल्के–फुल्के मनोरंजन की परंपरागत परिधि से उबारकर समाज के व्यापक प्रश्नों से जोड़ा। उनकी व्यंग्य रचनाएँ हमारे मन में गुदगुदी ही पैदा नहीं करतीं बल्कि हमें उन सामाजिक वास्तविकताओं के आमने–सामने खड़ा करती है, जिनसे किसी भी व्यक्ति का अलग रह पाना लगभग असंभव है। लगातार खोखली होती जा रही हमारी सामाजिक और राजनैतिक व्यवस्था में पिसते मध्यमवर्गीय मन की सच्चाइयों को उन्होंने बहुत ही निकटता से पकड़ा है। सामाजिक पाखंड और रूढ़िवादी जीवन–मूल्यों की खिल्ली उड़ाते हुए उन्होंने सदैव विवेक और विज्ञान–सम्मत दृष्टि को सकारात्मक रूप में प्रस्तुत किया है। उनकी भाषा–शैली में खास किस्म का अपनापा है, जिससे पाठक यह महसूस करता है कि लेखक उसके सामने ही बैठा है।

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अतिरिक्त संसाधन

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सारांश

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परिकल्पना

शिक्षक के नोट

गतिविधि

  1. विधान्/प्रक्रिया
  2. समय
  3. सामग्री / संसाधन
  4. कार्यविधि
  5. चर्चा सवाल

भाषा विविधता

शब्दकॊश

व्याकरण / सजावट / पिंगल

मूल्यांकन

I. मौखिक प्रश्न :
1. प्रस्तुत कहानी के लेखक कौन हैं ?
उत्तर :- प्रस्तुत कहानी के लेखक हरिशंकर परसाई हैं ।
2. लेखक दूसरे दर्जे में क्यों सफर करना चाहते थे ?
उत्तर :- लेखक दूसरे दर्जे में सफर करके पहले दर्जे का किराया वसूलना चाहते थे ।
3. लेखक की चप्पले किसने पहनी थीं ?
उत्तर :- लेखक की चप्पले ईमानदार डेलिगेट ने पहनी थी ।
4. स्वागत समिति के मंत्री किसको डाँटने लगे ?
उत्तर :- स्वागत समिति के मंत्री कार्यकर्ताओं को डाँटने लगे ।
5. लेखक पहनने के कपड़े कहाँ दबाकर सोये ?
उत्तर :- लेखक पहनने के कपड़े सिरहाने दबाकर सोये ।

II. लिखित प्रश्न :
अ. एक वाक्य में उत्तर लिखिए :
1. सम्मेलन में लेखक के भाग लेने से किन-किन को प्रेरणा मिल सकती थी ?
उत्तर :- सम्मेलन में लेखक के भाग लेने से ईमानदारों तथा उदीयमान ईमानदारों को प्रेरणा मिल सकती थी ।
2. लेखक को कहाँ ठहराया गया ?
उत्तर :- लेखक को होटेल के एक बडे कमरे में ठहराया गया ।
3. सम्मेलन का उद्घाटन कैसे हुआ ?
उत्तर :- सम्मेलन का उद्घाटन शानदार हुआ ।
4. ब्रीफकेस में क्या था ?
उत्तर :- ब्रीफकेस में कुछ कागज़ात थे ।
5. लेखक ने धूप का चश्मा कहाँ रखा था ?
उत्तर :- लेखक ने धूप का चश्मा टेबल पर रखा था ।
6. तीसरे दिन लेखक के कमरे से क्या गायब हो गया था ?
उत्तर :- तीसरे दिन लेखक के कमरे से कम्बल गायब हो गया था |

आ. दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :
1. लेखक को भेजे गये निमंत्रण पत्र में क्या लिखा गया था ?
उत्तर :- पत्र में लिखा था – “हम लोग इस शहर में एक ईमानदार सम्मेलन कर रहे हैं । आप देश के प्रसिध्द ईमानदार हैं। हमारी प्रार्थना है कि आप इस सम्मेलन का उद्घाटन करें। हम आपको आने-जाने के पहले दर्जे का किराया देंगे तथा आवास, भोजन आदि की उत्तम व्यवस्था करेंगे। आपके आगमन से ईमानदारों तथा उदीयमान ईमानदारों को बड़ी प्रेरणा मिलेगी।”
2. फूल मालाएँ मिलने पर लेखक क्या सोचने लगे ?
उत्तर :- लेखक को लगभग दस बड़ी फूल-मालाएँ पहनायी गयीं । उन्होंने सोचा, आस-पास कोई माली होता तो फूल-मालाएँ भी बेच लेता ।
3. लेखक ने मंत्री को क्या समझाया ?
उत्तर :- लेखक ने मंत्री को समझाया की -“ऐसा हरगिज मत करिये । ईमानदारों के सम्मेलन में पुलिस ईमानदारों की तलाशी ले, यह बड़ी अशोभनीय बात होगी। फिर इतने बड़े सम्मेलन में थोड़ी गड़बड़ी होगी ही।”
4. चप्पलों की चोरी होने पर ईमानदार डेलिगेट ने क्या सुझाव दिया ?
उत्तर :- डेलिगेट ने सुझाव दिया कि –“देखिए, चप्पलें एक जगह नहीं उतारना चिहिए । एक चप्पल यहाँ उतारिये, तो दूसरी दस फीट दूर। तब चप्पलें चोरी नहीं होतीं। एक ही जगह जोड़ी होगी, तो कोई भी पहन लेगा । मैंने ऐसा ही किया था।”
5. लेखक ने कमरा छोड़कर जाने का निर्णय क्यों लिया ?
उत्तर :- होटल के कमरों में बहुत ज्यादा चोरियाँ होने लगी थी। अपने पास बची वस्तुओं ओ सुरक्षित रखने के लिए लेखक ने कमरा छोड़कर जाने का निर्णय लिया ।
6. मुख्य अतिथि की बेईमानी कहाँ दिखाई देती है ?
उत्तर :- मुख्य अतिथि ने ईमानदार डेलिगेट की फटी – पुरानी चप्पलें बिना बताए पहन ली थी। इससे पहले वे सोचते थे कि दूसरे दर्जे में यात्रा कर के पहले दर्जे का किराया वसूल कर लिया जाए और स्वागत में पहनायी गयी दस फूल-मालाओं को किसी माली को बेच लेता ।


इ. चार-छ: वाक्यों में उत्तर लिखिए :
1. लेखक के धूप का चश्मा खो जाने की घटना का वर्णन कीजिए ।
उत्तर :- लेखक का धूप का चश्मा कहीं खो गया था। आसपास यह बात हर जगह फैल गई। इस बीच एक सज्जन, लेखक के पास आए और बोले –“बड़ी चोरियाँ हो रही हैं। देखिए, आपका धूप का चश्मा ही चला गया।” लेखक ने ध्यान से देखा तो वे सज्जन उनका ही धूप का चश्मा पहने हुए थे ।
2. मंत्री तथा कार्यकर्ताओं के बीच में क्या वार्तालाप हुआ ?
उत्तर :- मंत्री कार्यकर्ताओं को डाँटने लगे, “तुम लोग क्या करते हो? तुम्हारी ड्यूटी यहाँ हैं। तुम्हारे रहते चोरियाँ हो रही हैं। यह ईमानदार सम्मेलन है । बाहर यह चोरी की बात फैली, तो कितनी बदनामी होगी ?” कार्यकर्ताओं ने कहा, “हम क्या करें ? अगर सम्माननीय डेलिगेट यहाँ-वहाँ जायें, तो क्या हम उन्हें रोक सकते हैं ?” तब मंत्री ने गुस्से से कहा, “मैं पुलिस को बुलाकर यहाँ सबकी तलाशी करवाता हूँ।”
3. सम्मेलन में लेखक के क्या-क्या अनुभव रहे? संक्षेप में लिखिए ।
उत्तर :- सम्मेलन के शानदार उद्घाटन के बाद लेखक की चप्पलों की अदला – बदली हो गयी। लेखक ने देखा कि बिस्तर की चादर भी गायब है। अगले दिन उन्होंने देखा कि दो और चादरें होटेल के कमरे से गायब थी। इसी दौरान उनका धूप का चश्मा भी खो गया था। बाद में उन्होंने एक सज्जन व्यक्ति के पास देखा। सम्मेलन के तीसरे दिन उनका कम्बल भी गायब था। अगले दिन लेखक रात को पहनने के कपड़े सिरहाने दबाया और नयीं चप्पलें तथा शेविंग के डिब्बे को बिस्तर के नीचे दबाया। अगले दिन ताला चोरी हो गया। तब लेखक ने तय किया कि जल्दी से उस जगह को खाली करना चाहिए ।

ई. रिक्त स्थानों को सही शब्दों से भरिए :
1. ह्म लोग इस शहर में एक ईमानदार सम्मेलन कर रहे हैं ।
2. आपकी चप्पले नहीं गयीं, यह गनीमत है ।
3. वह मेरा चश्मा लगाये इतमीनान से बैठे थे ।
4. फिर इतने बड़े सम्मेलन में थोड़ी गड़बड़ी होगी ही ।

उ. किसने कहा? किससे कहा ?
1. क्या आपकी चप्पलें कोई पहन गया ?
इस वाक्य को एक ईमानदार डेलिगेट ने लेखक से कहा ।
2. होटलवाले ने धुलाने को भेज दी होगी ।
इस वाक्य को आयोजनकर्ताओं ने लेखक से कहा ।
3. मैं पुलिस को बुलाकर यहाँ सबकी तलाशी करवाता हूँ ।
इस वाक्य को मंत्री ने कार्यकर्ताओं से कहा ।
4. चलिए, स्वागत समिति के साथ अच्छे होटल में भोजन हो जाये ।
इस वाक्य को मंत्री ने लेखक से कहा ।
5. अब मैं बचा हूँ । अगर रूका तो मैं ही चुरा लिया जाऊँगा ।
इस वाक्य को लेखक ने मंत्री से कहा ।

ऊ. विलोम शब्द लिखिए :
1. आगमन X प्रस्थान
2. रात X दिन
3. जवाब X सवाल
4. बेचना X खरीदना
5. सज्जन X दुर्जन

ऋ. बहुवचन रुप लिखिए :
1. कपड़ा – कपड़े
2. चादर – चादरें
3. बात – बातें
4. डिब्बा – डिब्बे
5. चीज़ – चीज़ें

ए. प्रेरणार्थक क्रिया रुप लिखिए :
1. ठहरना– ठहराना – ठहरवाना
2. धोना – धुलाना – धुलवाना
3. देखना – दिखाना – दिखवाना
4. लौटना- लौटाना – लौटवाना
5. उतरना- उतराना- उतरवाना
6. पहनना- पहनाना- पहनवाना

ऐ. संधि-विछेद करके संधि का नाम लिखिए :
1. स्वागत = सु + आगत = यण् संधि
2. सहानुभूति = सह + अनुभूति = दीर्घ संधि
3. सज्जन = सत् + जन = व्यंजन संधि
4. परोपकार = पर + उपकार = गुण संधि
5. निश्चिंत = नि: + चिंत = विसर्ग संधि
6. सदैव = सदा + एव = वृद्धि संधि

ओ. कन्नड में अनुवाद कीजिए ।
1. ನಾವು ತಮಗೆ ಹೋಗಿ ಬರುವುದಕ್ಕಾಗಿ ಮೊದಲ ದರ್ಜೆಯ ಬತ್ತೆಯನ್ನು ಕೊಡುತ್ತೇವೆ.
2. ಸ್ಟೇಷನ್ ನಲ್ಲಿ ನನಗೆ ಬಹಳನೇ ಸ್ವಾಗತ ಮಾಡಲಾಯಿತು.
3. ನೋಡಿ ಚಪ್ಪಲಿಗಳನ್ನು ಒಂದೇ ಜಾಗದಲ್ಲಿ ಬಿಡಬಾರದು.
4. ಈಗ ನಾನು ಉಳಿದುಕೊಂಡಿದ್ಡೇನೆ. ಒಂದು ವೇಳೆ ಇಲ್ಲೇ ಉಳಿದುಕೊಂಡರೆ ನನ್ನನ್ನು ಸಹ ಕಳವು ಮಾಡಲಾಗುತ್ತದೆ.

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