Anonymous

Changes

From Karnataka Open Educational Resources
1,428 bytes added ,  05:41, 3 May 2016
no edit summary
Line 2: Line 2:     
जयशंकर प्रसाद पहले ब्रजभाषा की कविताएँ लिखा करते थे जिनका संग्रह ‘चित्राधार’ में हुआ है। संवत् 1970 से वे खड़ी बोली की ओर आए और ‘कानन कुसुम’, ‘महाराणा का महत्त्व’, ‘करुणालय’ और ‘प्रेमपथिक’ प्रकाशित हुए। ‘कानन कुसुम’ में तो प्राय: उसी ढंग की कविताएँ हैं जिस ढंग की द्विवेदीकाल में निकला करती थीं। ‘महाराणा का महत्त्व’ और ‘प्रेमपथिक’ (सं. 1970) अतुकांत रचनाएँ हैं जिसका मार्ग पं. श्रीधर पाठक पहले दिखा चुके थे।
 
जयशंकर प्रसाद पहले ब्रजभाषा की कविताएँ लिखा करते थे जिनका संग्रह ‘चित्राधार’ में हुआ है। संवत् 1970 से वे खड़ी बोली की ओर आए और ‘कानन कुसुम’, ‘महाराणा का महत्त्व’, ‘करुणालय’ और ‘प्रेमपथिक’ प्रकाशित हुए। ‘कानन कुसुम’ में तो प्राय: उसी ढंग की कविताएँ हैं जिस ढंग की द्विवेदीकाल में निकला करती थीं। ‘महाराणा का महत्त्व’ और ‘प्रेमपथिक’ (सं. 1970) अतुकांत रचनाएँ हैं जिसका मार्ग पं. श्रीधर पाठक पहले दिखा चुके थे।
 +
प्रसाद जी की पहली विशिष्ट रचना ‘आँसू’ (संवत् 1988) है। आँसू वास्तव में तो हैं शृंगारी विप्रलंभ के, जिनमें अतीत संयोगसुख की खिन्न स्मृतियाँ रह-रहकर झलक मारती हैं; पर जहाँ प्रेमी की मादकता की बेसुधी में प्रियतम नीचे से ऊपर आते और संज्ञा की दशा में चले जाते हैं, जहाँ हृदय की तरंगें ‘उस अनंत कोने’ को नहलाने चलती है, वहाँ वे आँसू उस ‘अज्ञात प्रियतम’ के लिए बहते जान पड़ते हैं। ‘आँसू’ के बाद दूसरी रचना ‘लहर’ है, जो कई प्रकार की कविताओं का संग्रह है। ‘लहर’ से कवि का अभिप्राय उस आनंद की लहर से है जो मनुष्य के मानस से उठा करती है और उसके जीवन को सरस करती रहती है।
    
कवि के बारे मे अतिरिक्त जानकारी जानने के लिये याहा [http://kavyanchal.com/parichay/?p=140 क्लिक] करे।  
 
कवि के बारे मे अतिरिक्त जानकारी जानने के लिये याहा [http://kavyanchal.com/parichay/?p=140 क्लिक] करे।