Difference between revisions of "सूर -श्याम"
Nandeesh M (talk | contribs) |
Nandeesh M (talk | contribs) |
||
Line 36: | Line 36: | ||
='''शब्दार्थ'''= | ='''शब्दार्थ'''= | ||
− | मैया = माँ | + | मैया = माँ <br> के मारे = के कारण <br> चबाई = चुगलखोर <br> मोहिं = मुझे <br> तुमरो=तुम्हारे <br> जनमत = ज्न्म से ही<br> |
+ | दाऊ = भैय्या (बलराम) <br> तातु = पिता <br> धूत = दुष्ट् <br> | ||
+ | खिझाना = चिढाना <br> कत = क्यों <br> लखि = देखकर <br> | ||
+ | मोसो = मुझसे <br> स्याम =काला <br> सौं = कसम, सौगंध <br> | ||
+ | मोल = मूल्य,दाम <br> ग्वाल = गोपालक <br> हौं = मैं <br> | ||
+ | तोहि = तुझे <br> सिखै = सिखाना <br> पूत = पुत्र <br> |
Revision as of 08:07, 12 October 2015
सूर -श्याम
१)कवि परिचय
२) साहित्यलहरी
३) शब्दार्थ
४) प्रश्न
कवि परिचय
जन्म :- उत्तर प्रदॆश कॆ रुनकता गाँव मॆ हुआथा 1540
इनकी मृत्यु :- 1642)
सुरदाजी कॊ हिंदी साहित्यकाश कॆ सुर्य मानॆ जातॆ है।
ईन्हॆ भक्तिकाल की सुगुण भक्तिधारा की कृष्णभक्ति शाखा
कॆ प्रवर्तक माना जाता है।
इनकी रजनाएँ :- ‘सुरसागर’, ‘ सुरसारावली’ एवं
साहित्यलहरी
इनकि काव्यॊं मॆ वात्सल्य, त्रृंगार, तथा भक्ति का त्रिवॆणी संगम हुआ है?
मैया मोहिं दाऊ बहुत खिझायो |
मोसों कहत मोल को लीनो, तोहि जसुमति कब जायो ||
कहा कहौं इहि रिस के मारे, खेलन हौं नहिं जात |
पुनि पुनि कहत कौन है माता, को है तुमरो तात ||
गोरे नंद जसोदा गोरी,तुम कत स्याम सरीर |
चुटकी दै दै हँसत ग्वाल, सब सिखै देत बलबीर ||
तू मोहिं को मारन सीखी दाउहि कबहुँ न खीझै |
मोहन को मुख् रिस समेत लखि, जसुमति सुनि सुनि रीझै ||
सुनहु कान्ह बलभद्र चबाई जनमत ही को धूत |
‘सूर' स्याम मोहिं गोधन की सौं हौं माता तू पूत||
शब्दार्थ
मैया = माँ
के मारे = के कारण
चबाई = चुगलखोर
मोहिं = मुझे
तुमरो=तुम्हारे
जनमत = ज्न्म से ही
दाऊ = भैय्या (बलराम)
तातु = पिता
धूत = दुष्ट्
खिझाना = चिढाना
कत = क्यों
लखि = देखकर
मोसो = मुझसे
स्याम =काला
सौं = कसम, सौगंध
मोल = मूल्य,दाम
ग्वाल = गोपालक
हौं = मैं
तोहि = तुझे
सिखै = सिखाना
पूत = पुत्र