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[[Hindi_2015-16_STF_KOER_workshops |Hindi Subject Teacher Forum workshops]] launches the virtual learning forum for Hindi teachers
 
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समय की .. इस अनवरत बहती धारा में ..
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अपने चंद सालों का .. हिसाब क्या रखें .. !!
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जिंदगी ने .. दिया है जब इतना .. बेशुमार यहाँ ..
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तो फिर .. जो नहीं मिला उसका हिसाब क्या रखें .. !!
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दोस्तों ने .. दिया है .. इतना प्यार यहाँ ..
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तो दुश्मनी .. की बातों का .. हिसाब क्या रखें .. !!
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दिन हैं .. उजालों से .. इतने भरपूर यहाँ ..
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तो रात के अँधेरों का .. हिसाब क्या रखे .. !!
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खुशी के दो पल .. काफी हैं .. खिलने के लिये ..
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तो फिर .. उदासियों का .. हिसाब क्या रखें .. !!
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हसीन यादों के मंजर .. इतने हैं जिंदगानी में ..
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तो चंद दुख की बातों का .. हिसाब क्या रखें .. !!
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मिले हैं फूल यहाँ .. इतने किन्हीं अपनों से ..
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फिर काँटों की .. चुभन का हिसाब क्या रखें .. !!
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चाँद की चाँदनी .. जब इतनी दिलकश है ..
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तो उसमें भी दाग है .. ये हिसाब क्या रखें .. !!
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जब खयालों से .. ही पुलक .. भर जाती हो दिल में ..
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तो फिर मिलने .. ना मिलने का .. हिसाब क्या रखें .. !!
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कुछ तो जरूर .. बहुत अच्छा है .. सभी में यारों ..
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फिर जरा सी .. बुराइयों का .. हिसाब क्या रखें .. !!!
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(Poem shared on Hindi Sahitya Whatsapp group by Veeru Charantimath sir)
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