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कॆ प्रवर्तक माना जाता है।<br>
 
कॆ प्रवर्तक माना जाता है।<br>
 
'''इनकी रजनाएँ''' :- ‘सुरसागर’, ‘ सुरसारावली’ एवं<br>
 
'''इनकी रजनाएँ''' :- ‘सुरसागर’, ‘ सुरसारावली’ एवं<br>
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='''साहित्यलहरी'''=
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इनकि काव्यॊं मॆ वात्सल्य, त्रृंगार, तथा भक्ति का
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त्रिवॆणी संगम हुआ है?<br>
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मैया मोहिं दाऊ बहुत खिझायो |<br>
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मोसों कहत मोल को लीनो, तोहि जसुमति कब जायो ||<br>
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कहा कहौं इहि रिस के मारे, खेलन हौं नहिं जात |<br>
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पुनि पुनि कहत कौन है माता, को है तुमरो तात ||<br>
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गोरे नंद जसोदा गोरी,तुम कत स्याम सरीर |<br>
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चुटकी दै दै हँसत ग्वाल, सब सिखै देत बलबीर ||<br>
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तू मोहिं को मारन सीखी दाउहि कबहुँ न खीझै |<br>
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मोहन को मुख् रिस समेत लखि, जसुमति सुनि सुनि रीझै ||<br>
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सुनहु कान्ह बलभद्र चबाई जनमत ही को धूत |<br>
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‘सूर' स्याम मोहिं गोधन की सौं हौं माता तू पूत||<br>
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