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Created page with "='''दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए।'''= '''1} सभी का मनोरथ कैसे पूर्ण होता ..."
='''दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए।'''=

'''1} सभी का मनोरथ कैसे पूर्ण होता है ?'''<br>
उत्तर :- दया दयानिधि )भगवान) की प्रार्थना करने से सभी का मनोरथ पूर्ण होता है।<br>

'''2} प्रभु की दया को कौन दर्शा रही है ?'''<br>
उत्तर:- प्रभु की दया को चाँद, चाँदनी, सूरज तथा सागर की तरंगमालाएँ दर्शा रही है।<br>

'''3} रवींद्रनाथ जी ने ‘सर’ की उपाधि क्यों त्याग दी ?'''<br>
उत्तर :- 1919 में जलियाँवाला बाग के अमानुषिक हत्याकाण्ड से दुखित होकर रवींद्रनाथ जी ने ‘सर’ की उपाधि त्याग दी ।<br>

'''4} शांतिनिकेतन का आशय क्या था ?'''<br>
उत्तर :- शांतिनिकेतन का आशय यह था कि युवक-युवतियों की औपचारिक शिक्षा के साथ-साथ प्रतिभा तथा कौशल की अभिव्यक्ति के लिए आवश्यक मंच का निर्माण करना ।<br>

'''5} रवींद्र जी ने किन-किन विषयों पर लेख लिखे हैं ?'''<br>
उत्तर :- रवींद्र जी ने राजनीति, शिक्षा, धर्म, कला आदि विषयों पर लेख लिखे हैं ।<br>

'''6} करोड़पति के होशहवास क्यों उड़ गए ?'''<br>
उत्तर:- नौकर ने कहा- “मालिक ! बाज़ार में एकदम कीमतें गिर गयीं। बहुत बड़ा घाटा हुआ है, मालिक।” यह समाचार सुनकर करोड़पति के होशहवास उड़ गए ।<br>

'''7} लोग क्या कहकर चीख रहे थे ?'''<br>
उत्तर :- लोग इस प्रकार चीख रहे थे कि- “अरे, अरे, बूढ़ा मोटर के नीचे कुचला जाएगा, मर गया, मर गया ।<br>

'''8} बूढ़े को किसने बचाया ? कैसे ?'''<br>
उत्तर :- बूढ़े को भिखारी ने बचाया। भिखारी बेतहाश भागते हुए गया और बूढ़े का हाथ पकड़कर उसे अपनी ओर खींचते हुए बचाया ।<br>

'''9} इंटरनेट का मतलब क्या है ?'''<br>
उत्तर :- इंटरनेट अनगिनत कंप्यूटरों के कई अंतर्जालों का, एक दूसरे से संबध स्थापित करने का जाल है ।<br>

'''10} व्यापार और बैंकिंग में इंटरनेट से क्या मदद मिलती है ?'''<br>
उत्तर :- इंटरनेट द्वारा घर बैठे-बैठे खरीदारी तथा कोई भी बिल भर सकते हैं । इंटरनेट बैंकिंग द्वारा दिनिया की किसी भी जगह पर चाहे जितनी भी रकम भेजी जा सकती है ।

'''11} ई-गवर्नेंस क्या है ?'''<br>
उत्तर:- ई-गवर्नेंस के द्वारा सरकार के सभी कामकाज का विवरण, अभिलेख, सरकारी आदेश आदि को यथावत्‌ लोगों को सूचित किया जाता है।

'''12} भारत माँ के प्रकृति-सौंदर्य का वर्णन कीजिए ।'''<br>
उत्तर:- भारत माँ के यहाँ हरे-भरे खेत, फल-फूलों से युत वन-उपवन तथा खनिजों का व्यापक धन है। इस प्रकार प्राकृतिक सौंदर्य ने सबको मोह लिया है ।

'''13} मातृभूमि का स्वरूप कैसे सुशोभित है ?'''<br>
उत्तर :- मातृभूमि अमरों की जननी है। उसके ह्रदय में गाँधी, बुध्द और राम समायित हैं। माँ के एक हाथ में न्याय पताका तथा दूसरे हाथ में ज्ञान दीप है। इस प्रकार मातृभूमि का स्वरूप सुशोभित है ।

'''14} लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू क्या करता था ?'''<br>
उत्तर:- लेखिका का ध्यान आकर्षित करने के लिए गिल्लू लेखिका के पैर तक आकर सर्र से परदे पर चढ़ जाता और फिर उसी तेजी से उतरता । उसका यह क्रम तब तक चलता, जब तक लेखिका उसे पकड़ने के लिए न उठती ।

'''15} लेखिका ने गिल्लू के प्राण कैसे बचाये ?'''<br>
उत्तर :- लेखिका ने गिलहरी को हौले से उठाकर कमरे में लाया, फिर रुई से रक्त पोंछकर घावों पर पेंसिलिन का मरहम लगाया। कई घंटे के उपचार के बाद उसके मुँह में एक बूँद पानी टपकाया जा सका।

'''16} गिल्लू ने लेखिका की गैरहाजरी में दिन कैसे बिताये ?'''<br>
उत्तर :- गिल्लू लेखिका की गैरहाजरी में उदास रहता था। अपना प्रिय खाद्य काजू कम खाता था। लेखिका के घर आने तक गिल्लू अकेलापन महसूस कर रहा था ।

'''17} छलनी से क्या-क्या कर सकते हैं ?'''<br>
उत्तर:- छलनी से दूध छान सकते हैं । इसके अलावा चाय भी छान सकते हैं ।

'''18} बसंत राजकिशोर से दो पैसे लेने से क्यों इनकार करता है ?'''<br>
उत्तर:- बसंत एक स्वाभिमानी लड़का था । वह मुफ्त में पैसे लेने को भीख समझता था। इसलिए बसंत राजकिशोर से दो पैसे लेने से इनकार करता है ।

'''19} प्रताप राजकिशोर के घर क्यों आया ?'''<br>
उत्तर:- बसंत राजकिशोर द्वारा दिये गए नोट को भुनाकर वापस आते समय मोटर के नीचे आ गया । इससे उसके दोनो पैर कुचले गये । इसलिए वह नहीं लौटा । छुट्टे पैसे वापस देने के लिए प्रताप राजकिशोर के घर आया ।

'''20} कर्नाटक की प्रमुख नदियाँ और जलप्रपात कौन-कौन-से हैं ?'''<br>
उत्तर :- कर्नाटक की प्रमुख नदियाँ है- कावेरी, कृष्णा, तुंगभद्रा आदि । कर्नाटक के प्रमुख जलप्रपात है- जोग, अब्बी, गोकाक, शिवनसमुद्र आदि ।

'''21} कर्नाटक के किन सहित्यकारों को ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त है ?'''<br>
उत्तर :- कर्नाटक के निम्न साहित्यकरों को ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त है- कुवेंपु, द.रा. बेंद्रे, शिवराम कारंत, मास्ति वेंकटेश अय्यंगार, वि.कृ.गोकाक, यू.आर.अनंतमूर्ति, गिरिश कार्नाड तथा चंद्रशेखर कंबार।

'''22} बेंगलूरु में कौन-कौन-सी बृहत् संस्थाएँ है ?'''<br>
उत्तर :- बेंगलूरु में भारतीय विज्ञान संस्थान, एच.ए.एल., एच.एम.टी., आई.टी.आई., बी.एच.ई.एल., बी.ई.एल., जैसी बृहत संस्थाएँ हैं ।

'''23} भीष्म साहनी जी अन्य बालकों से क्यों जलते थे ?'''<br>
उत्तर :- भीष्म साहनी बचपन में बीमारी के कारण खाट पर लेटे रहते थे । ऐसे में स्वस्थ, हँसते – खेलते लड़कों की तुलना में अपने को छोटा और असमर्थ समझकर उन बालकों से जलते थे ।

'''24} अंग्रेजी अध्यापक से भीष्म साहनी को कैसी प्रेरणा मिली ?'''<br>
उत्तर :- अंग्रेजी अध्यापक ने भीष्म साहनी जी को दकियानूसि, संकीर्ण, घुटन भरे वातावरण में से बाहर निकाल लिया । उन्ही के प्रभाव से साहनी जी सहित्य-रचना में कलम आजमाई करने लगे ।

'''25} साहनी जी ने किस उद्देश्य से खादी पहनना शुरू किया ?'''<br>
उत्तर :- साहनी जी आंदोलन के दिनों में कुर्ता – पैजामा पहन कर सड़को पर घूमते थे ।
मन ही मन में उम्मीद कर रहे थे कि पुलिसवाले उनके पहनावे को देखकर सरकार के खिलाफ विद्रोह मानकर गिरफ्तार कर लेंगे । गिरफ्तार होना ही साहनी जी का उद्देश्य था पर ऐसा नहीं हुआ ।

'''26} फूल मालाएँ मिलने पर लेखक क्या सोचने लगे ?'''<br>
उत्तर :- लेखक को लगभग दस बड़ी फूल-मालाएँ पहनायी गयीं । उन्होंने सोचा, आस-पास कोई माली होता तो फूल-मालाएँ भी बेच लेता ।

'''27} लेखक ने मंत्री को क्या समझाया ?'''<br>
उत्तर :- लेखक ने मंत्री को समझाया की -“ऐसा हरगिज मत करिये । ईमानदारों के सम्मेलन में पुलिस ईमानदारों की तलाशी ले, यह बड़ी अशोभनीय बात होगी। फिर इतने बड़े सम्मेलन में थोड़ी गड़बड़ी होगी ही।”

'''28} चप्पलों की चोरी होने पर ईमानदार डेलिगेट ने क्या सुझाव दिया ?'''<br>
उत्तर :- डेलिगेट ने सुझाव दिया कि –“देखिए, चप्पलें एक जगह नहीं उतारना चिहिए । एक चप्पल यहाँ उतारिये, तो दूसरी दस फीट दूर। तब चप्पलें चोरी नहीं होतीं। एक ही जगह जोड़ी होगी, तो कोई भी पहन लेगा । मैंने ऐसा ही किया था।”

'''29} मुख्य अतिथि की बेईमानी कहाँ दिखाई देती है ?'''<br>
उत्तर :- मुख्य अतिथि ने ईमानदार डेलिगेट की फटी – पुरानी चप्पलें बिना बताए पहन ली थी। इससे पहले वे सोचते थे कि दूसरे दर्जे में यात्रा कर के पहले दर्जे का किराया वसूल कर लिया जाए और स्वागत में पहनायी गयी दस फूल-मालाओं को किसी माली को बेच लेता ।

'''30} ‘प्रकृति पर सर्वत्र है विजयी पुरुष आसीन’ – इस पंक्ति का आशय समझाइए ।'''<br>
उत्तर :- इस पंक्ति का आशय है कि- आज के मानव ने प्रकृति के हर तत्व पर (आकाश, पाताल, धरती) विजय प्राप्त कर ली है। अर्थात प्रकृति को अपने नियंत्रण में रखा है ।

'''31} दिनकर जी के अनुसार मानव का सही परिचय क्या है ?'''<br>
उत्तर :- दिनकर जी के अनुसार जो मानव आपस में भाई-चारा बढ़ाये तथा दूसरे मानव से प्रेम का रिश्ता जोड़कर आपस की दूरी को मिटाए वही सच्चा ज्ञानी, विदवान एवं मानव कहलाने का
अधिकारी है ।

'''32} अभिनव मनुष्य कविता का दूसरा कौन-सा शीर्षक हो सकता है ? क्यों ?'''<br>
उत्तर :- इस कविता का दूसरा शीर्षक हो सकता है – ‘प्रकृति पुरुष’। क्योंकि मनुष्य ने लगभग प्रकृति के हर तत्व पर अपने प्रयासों से विजय प्राप्त कर ली है ।

'''33} तिम्मक्का दंपति किस प्रकार के धर्म-कार्य में लग गये ?'''<br>
उत्तर :- तिम्मक्का दंपति के गाँव के पास श्रीरंगस्वामी का मंदिर था, जहाँ हर साल मेला लगता था। वहाँ आनेवाले जानवरों के लिए उन्होंने पीने के पानी का ईंतज़ाम करते हुए वे धर्म-कार्य में लग गये ।

'''34} तिम्मक्का के जीवन में कैसी मुसीबत आ गई ?'''<br>
उत्तर :- तिम्मक्का के पति की तबीयत खराब हो गई। चिक्कय्या को भीख माँगने की स्थिति आ गई। उन्हें कभी पैसे मिलते तो कभी गालियाँ सुननी पडती थी। ऐसी हालत में चिक्कय्या चल बसे। तिम्मक्का अब अकेली पड गई।

'''35} तिम्मक्का ने क्या संकल्प किया है ?'''<br>
उत्तर :- तिम्मक्का ने अपने पति की याद में हुलिकल ग्राम में गरीबों की नि:शुल्क चिकित्सा के लिए एक अस्पताल के निर्माण कराने का संक्ल्प किया है।

'''36} मुखिया को मुख के समान होना चाहिए। कैसे?'''<br>
उत्तर :- जिस प्रकार मुँह खाने-पीने का काम अकेला करता है और उससे ही शरीर के सारे
अंगों का पालन-पोषण होता है। उसी प्रकार मुखिया को विवेकवान होकर सबके हित में काम
करना चाहिए ।

'''37} मनुष्य के जीवन में प्रकाश कब फैलता है ?'''<br>
उत्तर :- राम नाम को जपने से मानव की आंतरिक और बाह्य शुध्दि होती है, ऐसे करने से मनुष्य के जीवन में चारों ओर प्रकाश फैलता है ।

'''38} कृष्ण बलराम के साथ खेलने क्यों नहीं जाना चाहता?'''<br>
उत्तर :- बलराम कृष्ण को बहुत चिढ़ाता है। वह कहता है कि तुम्हें यशोदा माँ ने जन्म नहीं दिया है बल्कि मोल लिया है। इसी गुस्से के कारण कृष्ण उसके साथ खेलने नहीं जाना चाहता।

'''39} कृष्ण अपनी माता यशोदा के प्रति क्यों नाराज़ है?'''<br>
उत्तर :- कृष्ण अपनी माता यशोदा से इसलिए नाराज़ है कि वह केवल कृष्ण को ही मारती है और बड़े भाई बलराम को गुस्सा तक नहीं करती।

'''40} डॉ. कंबार जी को प्राप्त किन्हीं चार पुरस्कारों के नाम लिखिए।?'''<br>
उत्तर :- पंप प्रशस्ति, मास्ति प्रशस्ति, कबीर सम्मन तथा ज्ञानपीठ पुरस्कार।

'''41} डॉ. कंबार जी को लोक साहित्य में रूचि कैसे उत्पन्न हुई ?'''<br>
उत्तर :- जन्म से ही पौराणिक प्रसंगों को मन लगाकर सुनना तथा सामान्य जनता के जीवन में भी अधिक दिलचस्पी लेने के कारण, डॉ. कंबार जी को लोक साहित्य में रूचि उत्पन्न हुई ।

'''42} राष्ट्रभाषा हिंदी के बारे में डॉ. कंबार जी के क्या विचार हैं ?'''<br>
उत्तर :- राष्ट्रभाषा हिंदी के बारे में डॉ. कंबार जी के विचार इस प्रकार है कि- हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है। राष्ट्र में एकता लाने के लिए हिंदी भाषा अत्यंत उपयोगी है । आजकल यह संपर्क भाषा के रूप में प्रचलित है। हमें आपसी व्यवहार के लिए हिंदी सीखना जरूर है।

'''43} शनि का निर्माण किस प्रकार हुआ है ?'''<br>
उत्तर:- बृहस्पति की तरह शनि का वायुमंडल भी हाइड्रोजन, हीलियम, मीथेन तथा एमोनिया गैसों से बना है। शनि के सतह के बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है। हम केवल इसके चमकीले बाहरी वायुमंडल को ही देख सकते हैं।

'''44} सत्य क्या होता है ? उसका रूप कैसे होता है ?'''<br>
उत्तर:- सत्य ! बहुत भोला-भाला, बहुत ही सिधा-साधा ! जो कुछ भी अपनी आँखों से देखा,
बिना नमक-मिर्च लगाए बोल दिया – यही तो सत्य है। कितना सरल ! सत्य दृष्टि का प्रतिबिंब है, ज्ञान की प्रतिलिपि है, आत्मा की वाणी है।

'''45} झूठ का सहारा लेते हैं तो क्या-क्या करना पड़ता है ?'''<br>
उत्तर :- झूठ का सहारा लेते हैं तो एक झूठ साबित करने के लिए हजारों झूठ बोलने पड़ते हैं ।
और, कहीं पोल खुली, तो मुँह काला करना पड़ता है, अपमानित होना पड़ता है।

'''46} माहात्मा गाँधी के सत्य की शक्ति के बारे में क्या कथन है ?'''<br>
उत्तर :- उनका कथन है कि- “सत्य एक विशाल वृक्ष है। उसका जितना आदर किया जाता है, उतने ही फल उसमें लगते हैं। उनका अंत नहीं होता ।”

'''47} हर स्थिति में सत्य बोलने का अभ्यास क्यों करना चाहिए ?'''<br>
उत्तर :- सत्य वह चिनगारी है जिससे असत्य पल भर में भस्म हो जाता है । अत: हमें हर स्थिति में सत्य बोलने और पालन करने का अभ्यास करना चाहिए ।

'''48} ‘समय’ को अमूल्य क्यों माना जाता है ?'''<br>
उत्तर :- समय को इसलिए अमूल्य माना जाता है कि- समय के नष्ट हो जाने से जीवन भी विनष्ट हो
जाता है। खोया हुआ समय बार-बार नहीं आता।

'''49} ‘समय का सदुपयोग’ से क्या तात्पर्य है ?'''<br>
उत्तर :- समय का सदुपयोग इसका अर्थ है- ‘सही समय पर सही काम करना।’ उपयुक्त समय पर अपना काम निपटाना’ । समय कभी रुकता नहीं, अत: सबको उसके साथ-साथ चलकर उसका सदुपयोग कर लेना चाहिए ।

'''50} हमें किसका आदर करना चाहिए ?'''<br>
उत्तर:- हम सब को समय की गंभीरता को समझते हुए उसका आदर करना चाहिए।

='''भावार्थ'''=
१}जो तेरी होवे दया दयानिधि
तो पूर्ण होते सबके मनोरथ<br>
सभी ये कहते पुकार करके<br>
यही तो आशा दिला रही है!<br>

भावार्थ:- <br>
उपर्युक्त पंक्तियों को कवि जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित ‘प्रभो!’ नामक कविता भाग से लिया गया है।
भगवान की दया मानव के जीवन पर किस प्रकार पड रही है, इसके बारे में प्रकाश डालते हुए
कावि लिखते हैं कि - हे दयानिधि ! यदि आपकी दया हम पर रही तो हमारी पूरी मनोकामनाएँ
पूर्ण हो आती हैं। इसलिए प्रभो! सभी ये कहते हुए, आपके प्रति आशा रखते हुए
प्रार्थना कर रहे हैं।<br>


२} एक हाथ में न्याय-पताका,
ज्ञान-दीप दूसरे हाथ में,<br>
जग का रुप बदल दे, हे माँ,<br>
कोटि-कोटि हम आज साथ में ।<br>
गूँज उठे जय-हिंद नाद से – <br>
सकल नगर और ग्राम,<br>
मातृ-भू, शत-शतब बार प्रणाम ।<br>

भावार्थ:-<br>
उपर्युक्त पंक्तियों को कवि भगवतीचरण वर्मा द्वारा रचित ‘मातृभूमि’ नामक कविता भाग से
लिया गया है।कवि भारत माता की न्यायनिष्टा, ज्ञानशक्ति तथा महानता के बारे में बताते हुए
इस प्रकार लिखते हैं कि – हे भारत माता ! तेरे एक हाथ में न्याय की पताका तो दुसरे हाथ में
ज्ञान का दीपक है।अब तू संसार का रूप बदल दे माँ! आज हम करोड़ों भारतवासी तुम्हारे साथ
हैं। हे मा ! पूरे देश के गाँव-गाँव तथा नगर-नगर में ‘जय-हिंद’ का नाद गूँज उठे यही हमारी
आशा है। भारत माता तुम्हे सौ-सौ बार प्रणाम।<br>


३} मुखिया मुख सों चाहिए, खान पान को एक।<br>
पालै पोसै सकल अँग, तुलसी सहित विवेक।।<br>

भावार्थ:- <br>
प्रस्तुत दोहे को गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित 'तुलसी के दोहे' नामक कविता भाग से लिया गया है।
कवि ने मुख अर्थात् मुँह और मुखिया दोनों के स्वभाव की समानता दर्शाते हुए लिखते हैं कि-
जिस प्रकार मुँह खाने-पीने का काम अकेला करता है और उससे ही शरीर के सारे
अंगों का पालन-पोषण होता है। उसी प्रकार मुखिया को विवेकवान होकर सबके हित में काम
करना चाहिए ।<br>


४}तुलसी साथी विपत्ति के विद्या विनय विवेक।<br>
साहस सुकृति सुसत्यव्रत राम भरोसो एक।।<br>

भावार्थ:- <br>
प्रस्तुत दोहे को गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित 'तुलसी के दोहे' नामक कविता भाग से लिया गया है।
कवि ने मनुष्य पर जब विपत्ति आती हैं तो हमें किस तरह इस विपत्ति से बच सकते हैं?
इसके बारे में बताते हुए लिखते हैं कि- जब मनुष्य पर संकट आता है तो तब विद्या, विनय और
विवेक ही उसका साथ निभाते हैं। जो व्यक्ति राम पर भरोसा करता है, वह साहसी,
सत्यव्रती और सुकृतवान बनता है।<br>

='''व्याकरण'''=
=='''मुहावरे'''==
1. होश-हवास उड़ना – घबरा जाना<br>
2. बाल-बाल बचना – खतरे से बच जाना<br>
3. सातवें आसमान पर पहुँचाना – अधिक क्रोधित होना<br>
4. श्री गणेश करना – प्रारंभ करना<br>
5. नौ दो ग्यारह होना – भाग जाना<br>
6. आँखे लाल होना – गुस्सा बढ़ना<br>
7. घोड़े बेचकर सोना – निश्चिंत होना<br>
8. चूँ तक न करना – कुछ भी न बोलना<br>
9. पसीना बहाना – परिश्रम करना<br>
10. हिम्मत न हारना – धीरज रखना<br>
11. बीड़ा उठाना – जिम्मेदारी लेना<br>
12. चने के झाड़ पर चढ़ाना – झूठमूठ की प्रशंसा करना<br>
13. घाट-घाट का पानी पीना – बहुत अनुभव पाना<br>
14. शुक्रिया अदा करना – धन्यवाद देना<br>
15. नाक में दम करना – अधिक तंग करना<br>
16. आँखों में धूल झोंकना – धोखा देना<br>
17. अंगारे उगलना – क्रोध में कठोर वचन बोलना<br>
18. आग बबूला होना – अधिक क्रोधित होना<br>
19. आसमान सिर पर उठाना – शोर करना<br>
20. कमर कसना – तैयार होना<br>
21. खून पसिना एक करना – बहुत मेहनत करना<br>
22. छक्के छुड़ाना – बुरी तरह हराना<br>
23. दाल न गलना – सफल न होना<br>
24. फूला न समाना – अत्यंत प्रसन्न होना<br>
25. उँगली पर नचाना – वश में रखना<br>
26. आँखें खुलना – होश आना <br>

=='''विराम चिह्‍न'''==
1. अल्प विराम.........................(,)<br>
2. अर्ध विराम...........................(;)<br>
3. पूर्ण विराम...........................(।)<br>
4. प्रश्न चिह्‍न..........................(?)<br>
5. विस्मयादिबोधक चिह्‍न..........(!)<br>
6. योजक चिह्‍न........................(-)<br>
7. उध्दरण चिह्‍न.......................(“ ”) (‘ ’)<br>
8. कोष्ठक चिह्‍न.......................( )<br>
9. विवरण चिह्‍न.......................( :- ) ( : )<br>

=='''कारक'''==
1. कर्ता कारक – (ने) क्रिया करनेवाले का बोध।<br>
2. कर्म कारक – (को) क्रिया का फल भोगनेवाले का बोध।<br>
3. करण कारक – (से) सहायता देनेवाले साधन का बोध।<br>
4. संप्रदान कारक – (के लिए, के द्वारा, के वास्ते) क्रिया का उद्देश्य या प्रयोजन का बोध।<br>
5. अपादान कारक – (से) अलगाव का बोध।<br>
6. संबंध कारक – (का, के, की) संबंध का बोध।<br>
7. अधिकरण कारक – (में, पर) क्रिया के होने का स्थान या समय का बोध।<br>
8. संबोधन कारक – (अरे, हे, ओ, वाह) संज्ञा को पुकारने का भाव।<br>

=='''विलोम शब्द'''==
बड़ा X छोटा<br>
प्रसिध्द X अप्रसिध्द<br>
औपचारिक X अनौपचारिक<br>
आरंभ X अंत <br>
पूर्व X पश्चिम <br>
निकट X दूर<br>
पाप X पुण्य <br>
निराशा X आशा <br>
स्वीकार X अस्विकार<br>
होश X बेहोश <br>
दुरुपयोग X सदुपयोग <br>
स्थिर X अस्थिर<br>
बढ़ना X घटना <br>
वरदान X अभिशाप <br>
मुमकिन X नामुमकिन<br>
दिन X रात <br>
भीतर X बाहर <br>
अनुपयुक्त X उपयुक्त<br>
चढ़ना X उतरना <br>
प्रिय X अप्रिय <br>
उपयोगी X अनुपयोगी<br>
खबर X बेखबर <br>
संतोष X असंतोष <br>
स्वस्थता X अस्वस्थता <br>
ईमान X बेईमान <br>
उचित X अनुचित <br>
उपस्थिति X अनुपस्थिति<br>
उत्तीर्ण X अनुत्तीर्ण <br>
विश्वास X अविश्वास <br>
रोज़गार X बेरोजगार<br>
पीछे X आगे <br>
खरीदना X बेचना <br>
शांति X अशांति<br>
लेना X देना <br>
आना X जाना <br>
गरीब X अमीर<br>
सुंदर X कुरुप <br>
विदेश X स्वदेश <br>
आदि X अंत, अनादि<br>
सजीव X निर्जीव <br>
आयात X निर्यात <br>
सदाचार X दुराचार<br>
जवाब X सवाल <br>
सज्जन X दुर्जन <br>
आगमन X निर्गमन<br>
जन्म X मरण <br>
आसान X कठिन <br>
अपना X पराया<br>
छोटे X बड़े <br>
माता X पिता <br>
बैल X गाय<br>
हाथी X हाथिनि <br>
बाप X माँ <br>
अँधकार X प्रकाश<br>
आय X व्यय <br>
आगे X पीछे <br>
अमृत X विष<br>
जय X पराजय <br>
आधार X निराधार <br>
परतंत्र X स्वतंत्र<br>
सफल X विफल <br>
चल X अचल <br>
आदर X अनादर<br>
सुख X दुख <br>
लिखित X अलिखित <br>
आवश्यक X अनावश्यक<br>

=='''अन्य वचन'''==
परिवार - परिवार<br>
घर - घर <br>
लोग - लोग <br>
कहानी - कहानियाँ <br>
कला – कलाएँ <br>
कविता – कविताएँ योजना - योजनाएँ <br>
उपाधि - उपाधियाँ <br>
पत्र – पत्र<br>
उड़ान - उड़ानें <br>
आँखें - आँख <br>
रुपया – रुपये<br>
पैसे - पैसा <br>
हाथ - हाथ <br>
रोटी - रोटियाँ<br>
परदा – परदे <br>
कमरा – कमरे <br>
दायरा – दायरे<br>
जगह – जगहें <br>
किताब – किताबें <br>
कोशिश – कोशिशें<br>
दोस्त - दोस्त <br>
कंप्यूटर – कंप्यूटर <br>
रिश्तेदार – रिश्तेदार<br>
जानकारी – जानकारियाँ <br>
चिट्‍ठी - चिट्‍टियाँ <br>
जीवनशैली – जीवनशैलियाँ<br>
उँगली – उँगलियाँ <br>
पूँछ – पूँछें <br>
खिड़की - खिड़कियाँ<br>
फूल - फूल <br>
पंजा - पंजे <br>
लिफाफा - लिफाफे<br>
कौआ – कौए<br>
गमला – गमले<br>
घोंसला - घोंसले<br>
मूर्ति - मूर्तियाँ<br>
उपलब्दि – उपलब्दियाँ <br>
कृति - कृतियाँ<br>
नीति – नीतियाँ <br>
संस्कृति – संस्कृतियाँ <br>
पद्‍धति – पद्‍धतियाँ<br>
कपड़ा – कपड़े <br>
चादर - चादरें <br>
बात – बातें<br>
डिब्बा – डिब्बे <br>
चीज़ - चीज़ें <br>
व्यवस्था – व्यवस्थाएँ<br>
सेवा - सेवाएँ <br>
पक्षी - पक्षी <br>
बच्चा - बच्चे <br>

=='''अन्य लिंग रुप'''==
कवि – कवयित्री<br>
लेखक – लेखिका <br>
युवक – युवती <br>
मोर – मोरनी <br>
मालिक – मालकिन <br>
भिखारी – भिखारिन<br>
बच्चा – बच्ची <br>
बालक – बालिका <br>
बूढ़ा – बुढ़िया <br>
श्रीमान – श्रीमती<br>
मयूर – मयूरी <br>
नौकर – नौकरानी <br>
कुत्ता – कुतिया <br>
पति – पत्नी <br>
पिता – माता <br>
माँ – बाप <br>
महिला – पुरुष<br>
छात्र – छात्रा <br>
आचार्य – आचार्या <br>
देव – देवी<br>
नाना – नानी <br>
बेटा – बिटिया <br>
सुनार – सुनारिन <br>
आदमी – औरत<br>
नाई – नाइन <br>
ठाकुर – ठकुराईन <br>
हलवाई – हलवाईन <br>
शेर – शेरनी <br>
महान – महती <br>
भाग्यवान – भाग्यवती <br>
स्वामी – स्वामिनी <br>
सेठ – सेठानी <br>
दाता – दात्री <br>
विधाता – विधात्री <br>
नर – मादा <br>
सेवक – सेविका <br>

=='''पर्यायवाची शब्द'''==
सागर – समुद्र – जलधि – अंबुधि<br>
आगार – मकान – घर – गृह<br>
जल – पानी – अंबु – नीर<br>
आकाश – आसमान – गगन – नभ<br>
गात – शरीर – देह<br>
आहार – खाना – भोजन<br>
विस्मय – अचरज – आश्चर्य<br>
हिम्मत – धैर्य – साहस<br>
खोज – तलाश – ढूँढ़ <br>
शाम – संध्या – संध्याकाल<br>
माल – समान – चीज़ <br>
दुनिया – संसार – जगत<br>
बोझ – वजन – भार<br>
उम्मीद – आशा – भरोसा <br>
पेड़ – वृक्ष – तरु<br>
पक्षी – चिड़िया – पंखेरु<br>
महिला – स्त्री – नारी <br>
तबीयत – स्वास्थ्य – सेहत<br>
आदमी – पुरुष – नर<br>
आयु – उम्र<br>
विपुल – बहुत <br>
स्फूर्ति – उत्साह<br>
संपदा – संपत्ति<br>
हलचल – गतिविधि<br>
तालीम – शिक्षा <br>
विद्रोह – क्रांति<br>
दफ्तर – कार्यालय<br>

=='''प्रेरणार्थक क्रिया रुप'''==
पढ़ना – पढ़ाना – पढ़वाना<br>
सुनना – सुनाना – सुनवाना<br>
लिखना – लिखाना – लिखवाना<br>
समझना – समझाना – समझवाना<br>
करना – कराना – करवाना<br>
देना – दिलाना – दिलवाना<br>
उठना उठाना – उठवाना<br>
पकड़ना – पकड़ाना – पकड़वाना<br>
चलना – चलाना –चलवाना<br>
बैठना – बिठाना – बिठवाना<br>
मिलना – मिलाना – मिलवाना<br>
ठहरना – ठहराना – ठहरवाना<br>
छेड़ना – छिड़ाना – छिड़वाना<br>
धोना – धुलाना – धुलवाना<br>
भेजना – भिजाना – भिजवाना <br>
देखना – दिखाना – दिखवाना<br>
रोना – रुलाना – रुलवाना <br>
लौटना – लौटाना – लौटवाना<br>
धोना – धुलाना – धुलवाना <br>
उतरना – उतारना – उतारवाना<br>
सीना – सिलाना – सिलवाना<br>
पहनना – पहनाना – पहनवाना<br>
बनना – बनाना – बनवाना <br>
जागना – जगाना – जगवाना<br>
हँसना – हँसाना – हँसवाना <br>
जीतना – जिताना – जितवाना<br>
उड़ना – उड़ाना – उड़वाना<br>
खेलना – खिलाना – खिलवाना<br>
दौड़ना – दौड़ाना – दौड़वाना <br>
ओढ़ना – ओढ़ाना – ओढ़वाना<br>




=='''कन्नड में अनुवाद'''==
1. उनका परिवार सांस्कृतिक नेतृत्व के लिए समस्त बंगाल में प्रसिध्द था।<br>
ಅವರ ಕುಟುಂಬ ಸಾಂಸ್ಕೃತಿಕ ನೇತೃತ್ವಕ್ಕಾಗಿ ಸಂಪೂರ್ಣ ಬಂಗಾಳದಲ್ಲಿ ಪ್ರಸಿದ್ದವಿತ್ತು.

2. छोटी आयु में उन्होंने अपने पिता की संपदा का भार संभाला।<br>
ಚಿಕ್ಕ ವಯಸ್ಸಿನಲ್ಲಿಯೇ ಅವರು ತನ್ನ ತಂದೆಯ ಆಸ್ತಿಯ ಜವಾಬ್ದಾರಿಯನ್ನು ವಹಿಸಿಕೊಂಡರು.

3. महात्माजी उनसे अत्यंत प्रभावित थे।<br>
ಮಹಾತ್ಮರು ಅವರಿಂದ ತುಂಬಾ ಪ್ರಭಾವಿತರಾಗಿದ್ದರು.

4. हम यह कह सकते हैं कि रवींद्र जी का अंग्रेजी साहित्य में उच्च स्थान है।<br>
ಆಂಗ್ಲ ಸಾಹಿತ್ಯದಲ್ಲಿ ರವೀಂದ್ರರವರಿಗೆ ಉನ್ನತ ಸ್ಥಾನವಿದೆ ಎಂದು ನಾವು ಹೇಳಬಹುದು.

5. ‘गीतांजलि’ का एक-एक गीत भावों से परिपूर्ण है।<br>
‘ಗೀತಾಂಜಲಿಯ’ ಒಂದೊಂದು ಹಾಡುಗಳು ಭಾವಗಳಿಂದ ಪರಿಪೂರ್ಣವಾಗಿವೆ.

6. साहूकार की एक आलीशान कोठी थी।<br>
ಸಾಹುಕಾರನು ಒಂದು ಭವ್ಯ ಬಂಗಲೆಯನ್ನು ಹೊಂದಿದ್ದನು.

7. करोड़पति के कार्यक्रम में कभी कोई अंतर नहीं आता था।<br>
ಕೋಟ್ಯಾಧೀಶನ ಕಾರ್ಯಕ್ರಮದಲ್ಲಿ ಎಂದೂ ಯಾವ ವ್ಯತ್ಯಾಸವು ಆಗುತ್ತಿರಲಿಲ್ಲ.

8. भगवान से उसे कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।<br>
ದೇವರಿಂದ ಅವನಿಗೆ ಯಾವ ಪ್ರತಿಕ್ರಿಯೆಯೂ ಸಿಗಲಿಲ್ಲ.

9. रास्ते में भिखारी को एक छोटा लड़का मिला।<br>
ದಾರಿಯಲ್ಲಿ ಭಿಕ್ಷುಕನಿಗೆ ಒಬ್ಬ ಚಿಕ್ಕ ಬಾಲಕ ಭೇಟಿಯಾದ.

१०. भिखारी के रुप में आकर तुम ही ने मेरी रक्षा की।<br>
ಭಿಕ್ಷುಕನ ರೂಪದಲ್ಲಿ ಬಂದು ನೀನೇ ನನ್ನನ್ನು ರಕ್ಷಿಸಿದೆ.

११. इंटरनेट आधुनिक जीवनशैली का महत्वपूर्ण अंग बन गया है। <br>
ಅಂತರ್ಜಾಲ ಆಧುನಿಕ ಜೀವನಶೈಲಿಯ ಮಹತ್ವಪೂರ್ಣ ಅಂಗವಾಗಿಬಿಟ್ಟಿದೆ.

१२. इंटरनेट द्वारा घर बैठे-बैठे खरीदारी कर सकते हैं।<br>
ಅಂತರ್ಜಾಲದ ಮುಲಕ ಮನೆಯಲ್ಲಿಯೇ ಕುಳಿತುಕೊಂಡು ಖರೀದಿ ಮಾಡಬಹುದು.

१३. इंटरनेट की सहायता से बेरोज़गारी को मिटा सकते हैं।<br>
ಅಂತರ್ಜಾಲದ ಸಹಾಯದಿಂದ ನಿರುದ್ಯೋಗ ನಿರ್ಮೂಲನೆ ಮಾಡಬಹುದು.

१४. कई घंटे के उपचार के उपरांत मुँह में एक बूँद पानी टपकाया।<br>
ಹಲವು ಗಂಟೆಗಳ ಆರೈಕೆಯ ನಂತರ ಬಾಯಿಯಲ್ಲಿ ಒಂದು ಹನಿ ನೀರನ್ನು ಹಾಕಲಾಯಿತು.

१५. इतने छोटे जीव को घर में पले कुत्ते-बिल्लियों से बचाना भी एक समस्या ही थी।<br>
ಇಷ್ಟೊಂದು ಚಿಕ್ಕ ಜೀವಿಯನ್ನು ಮನೆಯಲ್ಲಿಯೇ ಸಾಕಿದ ನಾಯಿ-ಬೆಕ್ಕುಗಳಿಂದ ಕಾಪಾಡುವುದು ಒಂದು ಸಮಸ್ಯ ಆಗುತ್ತು.

१६. दिन भर गिल्लू ने न कुछ खाया, न बाहर गया।<br>
ದಿನವಿಡೀ ಗಿಲ್ಲು ಏನೂ ತಿನ್ನಲಿಲ್ಲ ಹಾಗೂ ಹೊರಗು ಹೋಗಲಿಲ್ಲ.

१७. गिल्लू मेरे पास रखी सुराही पर लेट जाता था।<br>
ಗಿಲ್ಲು ನನ್ನ ಬಳಿ ಇಟ್ಟಿದ್ದ ನೀರಿನ ಹೂಜಿ ಮೇಲೆ ಮಲಗಿ ಬಿಡುತ್ತಿತ್ತು.

१८. हम आपको आने-जाने के पहले दर्जे का किराया देंगे।<br>
ನಾವು ತಮಗೆ ಹೋಗಿ ಬರುವುದಕ್ಕಾಗಿ ಮೊದಲ ದರ್ಜೆಯ ಬತ್ತೆಯನ್ನು ಕೊಡುತ್ತೇವೆ.

१९. स्टेशन पर मेरा खूब स्वागत हुआ।<br>
ಸ್ಟೇಷನ್ ನಲ್ಲಿ ನನಗೆ ಬಹಳನೇ ಸ್ವಾಗತ ಮಾಡಲಾಯಿತು.

२०. देखिए, चप्पले एक जगह नहीं उतारना चाहिए।<br>
ನೋಡಿ ಚಪ್ಪಲಿಗಳನ್ನು ಒಂದೇ ಜಾಗದಲ್ಲಿ ಬಿಡಬಾರದು.

२१. अब मैं बचा हूँ। अगर रुका तो मैं ही चुरा लिया जाऊँगा।<br>
ಈಗ ನಾನು ಉಳಿದುಕೊಂಡಿದ್ಡೇನೆ. ಒಂದು ವೇಳೆ ಇಲ್ಲೇ ಉಳಿದುಕೊಂಡರೆ ನನ್ನನ್ನು ಸಹ ಕಳವು ಮಾಡಲಾಗುತ್ತದೆ.

२२. अपना दत्तक पुत्र खोकर तिम्मक्का बहुत दु:खी हुई।<br>
ತನ್ನ ದತ್ತು ಮಗನನ್ನು ಕಳೆದುಕೊಂಡು ತಿಮ್ಮಕ್ಕ ಬಹಳ ದು:ಖಿತಳಾದಳು.

२३. उन्हें अपने बच्चों की तरह प्रेम से पाला-पोसा।<br>
ಅವುಗಳನ್ನು ತನ್ನ ಮಕ್ಕಳಂತೆ ಪ್ರೀತಿಯಿಂದ ಸಾಕಿ ಬೆಳೆಸಿದಳು.

२४. तिम्मक्का के जीवन में मुसीबत की घड़ियाँ शुरू हुईं।<br>
ತಿಮ್ಮಕ್ಕನ ಜೀವನದಲ್ಲಿ ತೊಂದರೆಗಳ ಕಾಲ ಪ್ರಾರಂಭವಾಯಿತು.

२५. तिम्मक्का ने अब तक सैकड़ों पेड़ लगाये हैं।<br>
ತಿಮ್ಮಕ್ಕ ಇಲ್ಲಿಯವರೆಗೆ ಸೂಮಾರು ಮರಗಳನ್ನು ನೆಟ್ಟಿದ್ದಾಳೆ.

२६. पर्यावरण संरक्षण के साथ-साथ तिम्मक्का सामाजिक कार्य भी कर रही हैं।<br>
ಪರಿಸರ ಸಂರಕ್ಷಣೆಯೊಂದಿಗೆ ತಿಮ್ಮಕ್ಕ ಸಮಾಜಿಕ ಕಾರ್ಯಗಳು ಕೆಲಸಗಳನ್ನು ಸಹ ಮಾಡುತಿದ್ದಾರೆ.

२७. डॉ. कंबार जी कन्नड नाटक तथा काव्य क्षेत्र के शिखरपुरुष हैं।<br>
ಡಾ. ಕಂಬಾರರವರು ಕನ್ನಡ ನಾಟಕ ಹಾಗೂ ಕಾವ್ಯ ಕ್ಷೇತ್ರದ ಶಿಖರಪುರುಷರಾಗಿದ್ದಾರೆ.

२८. मुझमें पढ़ाई की इच्छा तीव्र होने के कारण मैं गोकाक में पढ़ाई करने में कामयाब हुआ।<br>
ನನಗೆ ಓದಬೇಕೆಂಬ ಆಸಕ್ತಿ ಹೆಚ್ಚಾಗಿದ್ದ ಕಾರಣ ನಾನು ಗೋಕಾಕ್‍ನಲ್ಲಿ ವಿದ್ಯಾಭ್ಯಾಸ ಮಾಡುವದರಲ್ಲಿ ಯಶಸ್ವಿನಾದೆ.

२९. मैं शुरू से ही पौराणिक प्रसंगों को मन लगाकर सुनता था।<br>
ನಾನು ಪ್ರಾರಂಬದಿಂದಲೇ ಪೌರಾಣಿಕ ಪ್ರಸಂಗಗಳನ್ನು ಗಮನವಿಟ್ಟು ಕೇಳುತ್ತಿದ್ದೆ.

३०. हमें आपसी व्यवहार के लिए हिंदी सीखना ज़रूरी है।<br>
ನಮಗೆ ಪರಸ್ಪರ ವ್ಯವಹಾರಕ್ಕಾಗಿ ಹಿಂದಿ ಕಲಿಯುವ ಅಗತ್ಯವಿದೆ.

३१. मैं आपके प्रति अत्यंत आभारी हूँ।<br>
ನಾನು ತಮಗೆ ತುಂಬಾ ಆಭಾರಿಯಾಗಿದ್ದೇನೆ.

=='''व्यावहारिक पत्र'''==
'''तीन दिन की छुट्टी के लिए पत्र'''<br>


दिनांक13-04-2016<br>
प्रेषक,<br>
अश्वथनारायण‍,<br>
10वी कक्षा, ‘अ’ विभाग,<br>
सरकारी प्रौढ़शाला एल्लोडु गुडिबंडे ता,<br>
चिक्कबल्लापुर जिला।<br>

सेवा में,<br>
प्रधानाचार्य,<br>
सरकारी प्रौढ़शाला एल्लोडु गुडिबंडे ता,<br>
चिक्कबल्लापुर जिला।<br>
महोदय,<br>

विषय :- तीन दिन की छुट्टी के लिए पत्र।<br>

सविनय निवेदन है कि मै अश्वथनारायण‍ 10वी कक्षा, ‘अ’ विभाग, का छात्र हूँ ।
मैं अपने बड़े भाई की शादी में भाग लेने के लिए बेंगलूरु जा रहा हूँ। दिनांक 24-02-2016 से दिनांक 26-02-16 तक विद्यालय को नहीं आ सकता। कृपया आपसे अनुरोद है कि आप इन तीन दिनों की छुट्टी मंजूर करने का कष्ट करें। कष्ट के लिए क्षमा चाहता हूँ।<br>


आपका आज्ञाकारी छात्र,<br>
अश्वथनारायण‍<br>

=='''व्यावहारिक पत्र'''==

'''प्रमाण पत्र के लिए पत्र'''<br>

दिनांक 13-04-2016<br>

प्रेषक,<br>
गणेश नायक‌,<br>
9वी कक्षा, ‘अ’ विभाग,<br>
सरकारी प्रौढ़शाला एल्लोडु गुडिबंडे ता,<br>
चिक्कबल्लापुर जिला।<br>

सेवा में,<br>
प्रधानाचार्य,<br>
सरकारी प्रौढ़शाला एल्लोडु गुडिबंडे ता,<br>
चिक्कबल्लापुर जिला।<br>

विषय :- प्रमाण पत्र हेतु।<br>

महोदया,<br>

आपसे निवेदन है कि मेरे पिताजी का तबादला बीदर में हो गया है। उनके साथ मुझे भी
जाना होगा। <br>
अत: अनुरोध करता हूँ कि मुझे नौवीं कक्षा उत्तीर्ण होने का प्रमाण पत्र, स्कूल छोड़ने का
प्रमाण पत्र तथा चरित्र प्रमाण पत्र देने की कृपा करें।<br>

धन्यवाद,<br>

आपका आज्ञाकारी छात्र, <br>
गणेश नायक‌<br>

=='''व्यक्तिगत पत्र'''==

'''पिता को पत्र'''<br>

दिनांक : 13-04-2016<br>

पूज्य पिताजी,<br>
सादर प्रणाम।<br>

मैं यहाँ आपके आशीर्वाद से कुशल हूँ। आपका पत्र मिला, पढ़कर बहुत खुशी हुई। मेरि
पढ़ाई ठीक चल रही है। आपकी आज्ञानुसार मन लगाकर दिन-रात पढ़ाई में व्यस्त रहती हूँ।<br>
खेल-कूद या गपशप में ज्यादा समय नहीं गँवा रही हूँ।<br>
हमारे स्कूल की ओर से अगले महीने 10 या 13 तारीख तक शैक्षिक-यात्रा का आयोजन
हुआ है। उसमें मेरी सारी सहेलियाँ जा रही हैं। उनके साथ मैं भी जाना चाहती हूँ। इसलिए
मनीआर्डर द्वारा मुझे तुरंत एक हजार रुपये भेजने की कृपा करें।<br>
माताजी को मेरा प्रमाण, छोटे भाई राहुल को ढेर सारा प्यार।<br>

आपकी लाडली पुत्री,<br>
गौतमी एन.ए.<br>

सेवा में,<br>
श्री प्रभाकर एन.ए.<br>
घर नं. 100 गौतमी निवास<br>
सरस्वती स्कूल के समीप<br>
एल्लोडु, गुडिबंडे ता. ५६१२०९<br>

=='''निबंध लेखन'''==
'''प्रस्तावना'''<br>
हमारे आस-पास के वातावरण को हम पर्यावरण कहते है। इसके तहत हवा, पानी, मिट्टी, पेड़, पर्वत आदि आते हैं। पर्यावरण में दूषक पदार्थों के प्रवेश के कारण प्राकृतिक संतुलन में पैदा होने वाले दोष को पर्यावरण प्रदूषण कहते हैं।<br>

'''पर्यावरण प्रदूषण के प्रकार'''<br>
I) '''जल प्रदुषण'''<br>
II) '''थल प्रदुषण'''<br>
III)'''वायु प्रदुषण'''<br>
IV) '''ध्वनि प्रदुषण'''<br>

I) '''जल प्रदुषण'''<br>
''''जल प्रदुषण के प्रमुख कारण''''<br>
1) गाँव , कस्बो का नगरो व महा-नगरो में रुपान्तरण<br>
2) कारखानों के द्वारा<br>
3) अनुचित रूप से कृषि कर अपशिष्ट प्रवाह करना<br>
4) धार्मिक और सामाजिक रूप से दुरुपयोग आदि ।<br>

II) '''थल प्रदुषण'''<br>
थल प्रदुषण के प्रमुख कारण <br>
1)वनों की कटाई और मिट्टी का कटाव<br>
2)प्लास्टिक के पदार्थों का उपयोग<br>
3)खनीज पदार्थो का अत्यधिक उपयोग<br>
4)बिजली का अधिक मात्रा मे उपयोग आदि ।<br>

III) '''वायु प्रदुषण''' <br>
वायु प्रदुषण के मुख्य कारण <br>
1) वाहनों का तेजी से उपयोग<br>
2 )रोजमर्रा की जिंदगी की होने वाले प्रदुषण<br>
3) कारखानों के धुए से प्रदुषण आदि ।<br>

IV) '''ध्वनि प्रदुषण'''<br>
ध्वनि प्रदुषण के मुख्य कारण<br>
1) स्पीकर के उपयोग से<br>
2) आधुनिक साधनों के उपयोग से<br>
3) परिवहन के साधनों के उपयोग से आदि ।<br>

''''उपसंहार'''' <br>
हम सब का जीवन पर्यावरण पर आश्रित है। आज पृथ्वी के वायुमंडल में प्राण वायु पीने का पानी आदि तत्व कम होते जा रहे हैं और दूसरे हानिकारक तत्व बढ़ते जा रहे हैं। अतएव हमें अधिक से अधिक वृक्ष लगाने, पानी को साफ रखने, ध्वनी प्रदूषण आदि को रोकने के प्रयत्न करना चाहिए। <br>

२} '''समय का सदुपयोग'''<br>
''''प्रस्तावना''''<br>
सचमुच, समय एक अनमोल वस्तु है। संसार में कोई भी वस्तु मिल सकती हैं, किन्तु खोया हुआ समय फिर हाथ नहीं आता। दुनिया में ऐसा कोई नहीं है जो गुजरे हुए घण्टों को फिर से बजा दे। समय के सदुपयोग पर ही हमारे जीवन की सफलता प्राय: निर्भर रहती है। वास्तव में अपने बहुमूल्य जीवन की कीमत वह मनुष्य समझता है, जो एक पल की कीमत समझता है। समय का जिसने सदुपयोग कर लिया, उसने अपने जीवन का सदुपयोग कर लिया।<br>

दुरुपयोग<br>
यह दुख की बात है कि कई लोग समय का दुरुपयोग करते हैं। सबेरे आठ बजे तक तो उनकी आँखें नींद में ही डूबी रहती हैं। फिर उठते हैं, तो आधा घंटा आलस्य उतारने में ही बीत जाता हैं| दिनभर में जीतने घंटे हम काम करते हैं, तो उसे कई गुना अधिक समय फिजूल की बातों में और निरर्थक कामों में बिताते हैं। कई लोग तो दिन भर ताश और शतरंज की बाजी में उलझे रहते हैं। यद्यपि हमारे जीवन में मनोरंजन समय का सदुपयोग करने के लिए हमें प्रत्येक कार्य निश्चित समय में ही पूरा करने का प्रयत्न करना चाहिए|। कुछ दिनों के निरन्तर अभ्यास से हमें समय का उचित उपयोग करने की आदत पड़ जाएगी और हमें जीवन को सफल बनाने की कुंजी मिल जाएगी।<br>

सदुपयोग<br>
समय का विभाजन कर हम अध्ययन, व्यायाम, सत्संग, समाज-सेवा, मनोरंजन आदि अनेक कार्य सरलतापूर्वक कर सकते हैं। इससे न तो हमें काम बोझ मालूम होगा और न ही "अब कौन-सा काम करें ?" यह सोचने में समय नष्ट होगा।<br>

अपने समय का सदुपयोग किये बिना कोई भी व्यक्ति महान् नहीं बन सकता। दुनियाँ के महापरुष समय की कीमत जानते थे, इसलिए वे महान बन सके| समय का सदुपयोग करके ही वे संसार में अमर कीर्ति प्राप्त कर सके थे। वाटरलू युद्ध में यदि एक सरदार चन्द घड़ियों की देरी न कर देता, तो नेपोलियन अपनी घोर पराजय से बच जाता।<br>

''''उपसंहार''''<br>
यदि हमें अपने जीवन से प्रेम हैं, तो हमें अपने बहुमूल्य समय को कभी भी नष्ट कर देता है। हमें कबीर का यह दोहा ध्यान में रखना चाहिए - "कल करे सो आज कर , आज करे सो अब।<br>
पल में परलै होयगी, बहुरि करैगा का।"<br>

'''स्कूल की पुस्तकालय'''<br>
प्रस्थावना<br>
ज्ञान-विज्ञान की असीम प्रगति के साथ पुस्तकालयों की सामाजिक उपयोगिता और अधिक बढ़ गयी हैI युग-युग कि साधना से मनुष्य ने जो ज्ञान अर्जित किया है वह पुस्तकों में संकलित होकर पुस्तकालयों में सुरक्षित है|<br>

वे जनसाधारण के लिए सुलभ होती हैंI पुस्तकालयों में अच्छे स्तर कि पुस्तकें रखी जाती हैं; उनमें कुछेक पुस्तकें अथवा ग्रन्थमालाएं इतनी महँगी होती हैं कि सर्वसाधारण के लिए उन्हें स्वयं खरीदकर पढ़ना संभव नहीं होताI यह बात संदर्भ ग्रंथों पर विशेष रूप से लागु होती हैI बड़ी-बड़ी जिल्दों के शब्दकोशों और विश्वकोशों तथा इतिहास-पुरातत्व कि बहुमूल्य पुस्तकों को एक साथ पढ़ने का सुअवसर पुस्तकालयों में ही संभव हो पाता है| इतना ही नहीं, असंख्य दुर्लभ और अलभ्य पांडुलिपियां भी हमें पुस्तकालयों में संरक्षित मिलती हैं| <br>

''''उपसंहार'''' <br>
आज आवश्यकता है कि नगर-नगर में अच्छे और संपन्न पुस्तकालय खुलें जिससे बच्चों की पुस्तकें पढ़ने में रूचि बढ़े और देश कि युवा प्रतिभाओं के विकास के सुअवसर सहज सुलभ हों|<br>

४} '''समाचार पत्र''' <br>
''''प्रस्तावना'''' <br>
आज के युग में समाचार पत्र मनुष्यन की दिनचर्या का आवश्यतक अंग बन गया है। प्रात:काल से ही मनुष्यय को इसका इंतजार रहता है। समाज की उन्नुति में इसका अहम योगदान रहा है।<br>

लाभ<br>
हमारे आसपास व देश-विदेश की घटनाओं की जानकारी समाचार पत्र से ही प्राप्तद होती है। समाचार पत्र का प्रकाशन कलकत्‍ता से प्रारंभ हुआ। पूर्व में समाचार पत्र का उपयोग सैनिकों द्वारा सूचना देने के लिए किया जाता था।
हमें हर तरह की जानकारी इससे ही मिलती है। शिक्षा, खेल, मनोरंजन, साहित्यर आदि की प्रमुख खबरें दैनिक समाचार में प्रकाशित होती हैं। हर देश में भिन्नल-भिन्नज भाषाओं में इसका प्रकाशन होता है। दैनिक समाचार पत्र के अलावा मासिक, पाक्षिक व साप्तानहिक पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन होता है।
हमें समाचार पत्र से घर बैठे देश-विदेश की गतिविधि का पता चल जाता है। समाचार के लेख, खबरें समाज की उन्नेति में इनका विशिष्टव योगदान रहा है। <br>

''''उपसंहार'''' <br>
समाचार पत्र के अलावा हमें टीवी, इंटरनेट पर भी खबरों की सुविधा मिल जाती है। यह न्याय के खिलाफ हमेशा तत्पर रहता है। पहले इतने साधन नहीं थे, लेकिन अब समाचार पत्र के कारण हमें नई-नई ज्ञान की बातें भी मिलती है। <br>

५} '''बेरोजगारी की समस्या'''<br>
प्रस्तावना
प्राचीन काल में भारत आर्थिक दृष्टि से पूर्णत: सम्पन्न था । तभी तो यह ‘ सोने की चिड़िया ‘ के नाम से विख्यात था । किन्तु, आज भारत आर्थिक दृष्टि से विकासशील देशों की श्रेणी में है । आज यहाँ कुपोषण और बेरोजगारी है । <br>

बेरोजगारी का अर्थ<br>
काम करने योग्य इच्छुक व्यक्ति को कोई काम न मिलना । <br>

बेरोजगारी का रूप <br>
बेरोजगारी में एक वर्ग तो उन लोगों का है, जो अशिक्षित या अर्द्धशिक्षित हैं और रोजी-रोटी की तलाश में भटक रहे हैं । दूसरा वर्ग उन बेरोजगारों का है जो शिक्षित हैं, जिसके पास काम तो है, पर उस काम से उसे जो कुछ प्राप्त होता है, वह उसकी आजीविका के लिए पर्याप्त नहीं है । बेरोजगारी की इस समस्या से शहर और गाँव दोनों आक्रांत हैं ।<br>

बेरोजगारी का कारण<br>
हमारे देश में बेरोजगारी की इस भीषण समस्या के अनेक कारण हैं । उन कारणों में लॉर्ड मैकॉले की दोषपूर्ण शिक्षा पद्धति, जनसंख्या की अतिशय वृद्धि, बड़े-बड़े उद्योगों की स्थापना के कारण कुटीर उद्योगों का ह्रास आदि प्रमुख हैं । आधुनिक शिक्षा प्रणाली में रोजगारोन्मुख शिक्षा व्यवस्था का सर्वथा अभाव है । इस कारण आधुनिक शिक्षा प्राप्त व्यक्तियों के सम्मुख भटकाव के अतिरिक्त और कोई चारा नहीं रह गया है । बेरोजगारी की विकराल समस्या के समाधान के लिए कुछ राहें तो खोजनी ही पड़ेगी । इस समस्या के समाधान के लिए गंभीर प्रयास किए जाने चाहिए ।<br>

''''उपसंहार'''' <br>
भारत में बेरोजगारी की समस्या का हल आसान नहीं है, फिर भी प्रत्येक समस्या का समाधान तो है ही । इस समस्या के समाधान के लिए मनोभावना में परिवर्तन लाना आवश्यक है । मनोभावना में परिवर्तन का तात्पर्य है – किसी कार्य को छोटा नहीं समझना । <br>

=='''समास के उदा'''==
{| class="wikitable"
|-
!अव्ययीभाव
!कर्मधारय
!तत्पुरुष
!द्विगु
!द्वंद्व
!बहुव्रीहि
|-
|प्रतिदिन
|नीलकमल
|जलप्रपात
|चौमासा
|श्रद्धा-भक्ति
|वीणापाणी
|-
|भरपेट
|पीतांबर
|राजवंश
|नौरात्री
|होश-हवास
|धनश्याम
|-
|आजन्म
|नीलकंठ
|राजमहल
|सतसई
|देश-विदेश
|श्वेतांबर
|-
|बेखटके
|कनकलता
|सत्याग्रह
|त्रिधारा
|राम-लक्षण
|लंबोदर
|-
|यथासंभव
|चंद्रमुख
|ग्रंथकार
|पंचवटी
|सीता-राम
|चक्रपाणि
|-
|अनजाने
|मुखचंद्र
|गगनचुंबी
|त्रिवेणी
|पाप-पुण्य
|त्रिनेत्र
|-
|प्रत्येक
|करामल
|परलोकगमन
|शताब्दी
|सुबह-श्याम
|दशानन
|-
|प्रतिमाह
|सद्‍धर्म
|देशप्रेम
|चौराह
|सुख-दुख
|नीलकंठ
|-
|आमरण
|धरणीधर
|रेखांकित
|बारहमासा
|दाल-रोटी
|चतुरानन
|-
|}

=='''संधि के उदा'''==
{| class="wikitable"
|-
!दीर्घ संधि शब्द
!गुण संधि शब्द
!वृधि संधि शब्द
!यण संधि शब्द
!अयादि संधि शब्द
|-
|पर्वतावली
|गजेंद्र
|एकैक
|अत्यधिक
|चयन
|-
|सहानुभूति
|परमेश्वर
|मतैक्य
|इत्यादि
|नयन
|-
|संग्रहालय
|महेंद्र
|सदैव
|प्रत्युपकार
|गायक
|-
|जलाशय
|रमेश
|महैश्वर्य
|मन्वंतर
|नायिका
|-
|समानाधिकार
|वार्षिकोत्सव
|परमौज
|स्वागत
|भवन
|-
|धर्मात्मा
|जलोर्मि
|वनौषध
|पित्रानुमति
|पावन
|-
|विद्यार्थी
|महोत्सव
|महौजस्वी
|पित्राज्ञा
|नाविक्क
|-
|विद्यालय
|महोर्मि
|महौषधि
|पित्रुपदेश
|नायक
|-
|कवींद्र
|सप्तर्षि
|हरेक
|अत्यंत
|सावन
|-
|गिरीश
|महर्षि
|तथैव
|अत्यानंद
|भावुक
|-
|महींद्र
|परोपकार
|महौज
|प्रत्येक
|पवित्र
|-
|रजनीश
|नरेंद्र
|नरैश्वर्य
|प्रत्युत्तर
|
|-
|लघूत्तर
|राकेश
|परमौषध
|अन्वय
|
|-
|सिंधूजा
|नरोत्तम
|
|मात्रादेश
|
|-
|वधूत्सव
|गंगोर्मि
|
|
|
|-
|भूर्जा
|महोदर
|
|
|
|-
!व्यंजन संधि शब्द
!विसर्ग संधि शब्द
|-
|दिग्गज
|तद्रूप
|निश्चय
|पुरोहित
|-
|सदवाणी
|सज्जन
|निष्कपट
|निश्चिंत
|-
|अजन्त
|सदाचार
|नीरस
|विस्तार
|-
|षड्‍दर्शन
|संशय
|दुर्गंध
|निस्संदेह
|-
|वाग्‍जाल
|संसार
|मनोरथ
|निर्मल
|-
1,055

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