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===लेखक का परीचय===
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=परिकल्पना नक्षा=
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=पृष्ठभूमि/संधर्भ=
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=मुख्य उद्देष्य=
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=लेखक का परीचय=
 
सूरदास का नाम कृष्ण भक्ति की अजस्र धारा को प्रवाहित करने वाले भक्त कवियों में सर्वोपरि है। हिन्दी साहित्य में भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य उपासक और ब्रजभाषा के श्रेष्ठ कवि महात्मा सूरदास हिंदी साहित्य के सूर्य माने जाते हैं। हिंदी कविता कामिनी के इस कमनीय कांत ने हिंदी भाषा को समृद्ध करने में जो योगदान दिया है, वह अद्वितीय है। सूरदास हिन्दी साहित्य में भक्ति काल के सगुण भक्ति शाखा के कृष्ण-भक्ति उपशाखा के महान कवि हैं।
 
सूरदास का नाम कृष्ण भक्ति की अजस्र धारा को प्रवाहित करने वाले भक्त कवियों में सर्वोपरि है। हिन्दी साहित्य में भगवान श्रीकृष्ण के अनन्य उपासक और ब्रजभाषा के श्रेष्ठ कवि महात्मा सूरदास हिंदी साहित्य के सूर्य माने जाते हैं। हिंदी कविता कामिनी के इस कमनीय कांत ने हिंदी भाषा को समृद्ध करने में जो योगदान दिया है, वह अद्वितीय है। सूरदास हिन्दी साहित्य में भक्ति काल के सगुण भक्ति शाखा के कृष्ण-भक्ति उपशाखा के महान कवि हैं।
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सौर्स: यहाँ [https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B8 क्लिक कीजिये]
 
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===अतिरिक्त संसाधन===
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=अतिरिक्त संसाधन=
    
सूरदास जी द्वारा लिखित पाँच ग्रन्थ बताए जाते हैं:
 
सूरदास जी द्वारा लिखित पाँच ग्रन्थ बताए जाते हैं:
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    (१) सूरसागर - जो सूरदास की प्रसिद्ध रचना है। जिसमें सवा लाख पद संग्रहित थे। किंतु अब सात-आठ हजार पद ही मिलते हैं।
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(१) सूरसागर - जो सूरदास की प्रसिद्ध रचना है। जिसमें सवा लाख पद संग्रहित थे। किंतु अब सात-आठ हजार पद ही मिलते हैं।
    (२) सूरसारावली
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    (३) साहित्य-लहरी - जिसमें उनके कूट पद संकलित हैं।
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(२) सूरसारावली
    (४) नल-दमयन्ती
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    (५) ब्याहलो
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(३) साहित्य-लहरी - जिसमें उनके कूट पद संकलित हैं।
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(४) नल-दमयन्ती
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(५) ब्याहलो
    
उपरोक्त में अन्तिम दो अप्राप्य हैं।
 
उपरोक्त में अन्तिम दो अप्राप्य हैं।
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नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा प्रकाशित हस्तलिखित पुस्तकों की विवरण तालिका में सूरदास के १६ ग्रन्थों का उल्लेख है। इनमें सूरसागर, सूरसारावली, साहित्य लहरी, नल-दमयन्ती, ब्याहलो के अतिरिक्त दशमस्कंध टीका, नागलीला, भागवत्, गोवर्धन लीला, सूरपचीसी, सूरसागर सार, प्राणप्यारी, आदि ग्रन्थ सम्मिलित हैं। इनमें प्रारम्भ के तीन ग्रंथ ही महत्त्वपूर्ण समझे जाते हैं, साहित्य लहरी की प्राप्त प्रति में बहुत प्रक्षिप्तांश जुड़े हुए हैं।
 
नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा प्रकाशित हस्तलिखित पुस्तकों की विवरण तालिका में सूरदास के १६ ग्रन्थों का उल्लेख है। इनमें सूरसागर, सूरसारावली, साहित्य लहरी, नल-दमयन्ती, ब्याहलो के अतिरिक्त दशमस्कंध टीका, नागलीला, भागवत्, गोवर्धन लीला, सूरपचीसी, सूरसागर सार, प्राणप्यारी, आदि ग्रन्थ सम्मिलित हैं। इनमें प्रारम्भ के तीन ग्रंथ ही महत्त्वपूर्ण समझे जाते हैं, साहित्य लहरी की प्राप्त प्रति में बहुत प्रक्षिप्तांश जुड़े हुए हैं।
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    सूरसागर का मुख्य वर्ण्य विषय श्री कृष्ण की लीलाओं का गान रहा है।
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सूरसागर का मुख्य वर्ण्य विषय श्री कृष्ण की लीलाओं का गान रहा है।
    सूरसारावली में कवि ने कृष्ण विषयक जिन कथात्मक और सेवा परक पदो का गान किया उन्ही के सार रूप मैं उन्होने सारावली की रचना की।
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सूरसारावली में कवि ने कृष्ण विषयक जिन कथात्मक और सेवा परक पदो का गान किया उन्ही के सार रूप मैं उन्होने सारावली की रचना की।
    सहित्यलहरी मैं सूर के दृष्टिकूट पद संकलित हैं।
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सहित्यलहरी मैं सूर के दृष्टिकूट पद संकलित हैं।
       
सौर्स: यहाँ [https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B8 क्लिक कीजिये]
 
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=सारांश=
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=परिकल्पना=
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==शिक्षक के नोट==
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==गतिविधि==
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#विधान्/प्रक्रिया
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#समय
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#सामग्री / संसाधन
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#कार्यविधि
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#चर्चा सवाल
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=भाषा विविधता=
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==शब्दकॊश==
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==व्याकरण / सजावट / पिंगल==
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=मूल्यांकन=
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=भाषा गतिविधियों / परियोजनाओं=
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=पाठ प्रतिक्रिया=

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