Line 584: |
Line 584: |
| | | |
| व्यंजन सन्धि के कतिपय नियम<br> | | व्यंजन सन्धि के कतिपय नियम<br> |
| + | |
| + | |
| + | 1. क्, च्, ट्, त्, प्, के साथ किसी भी स्वर तथा किसी भी वर्ग के तीसरे व चैथे वर्ण<br> |
| + | |
| + | (ग, घ, ज, झ, ड, ढ़, द, ध, ब, भ) तथा य, र, ल, व, ह में से किसी भी वर्ण के मेल पर ‘क्’ के स्थान पर ग्, च् के स्थान पर ज्, ट् के स्थान पर ड्, <br> |
| + | |
| + | त् के स्थान पर द् तथा प् के स्थान<br> |
| + | |
| + | पर ब् बन जायेगा तथा यदि स्वर मिलता है तो स्वर की मात्रा<br> |
| + | हलन्त वर्ण में लग जायेगी किन्तु<br> |
| + | |
| + | व्यंजन के मेल पर वे हलन्त ही रहेंगे। यथा –<br> |
| + | |
| + | क् के स्थान पर ग्<br> |
| + | |
| + | दिक् + अम्बर = दिगम्बर<br> |
| + | |
| + | वाक् + ईश = वागीश<br> |
| + | |
| + | दिक् + दर्शन = दिग्दर्शन<br> |
| + | |
| + | वणिक् + वर्ग = वणिग्वर्ग<br> |
| + | |
| + | विच्छेद<br> |
| + | |
| + | प्रागैतिहासिक = प्राक् + ऐतिहासिक<br> |
| + | |
| + | दिग्विजय = दिक् + विजय<br> |
| + | |
| + | च् के स्थान पर ज् = अच् + अन्त = अजन्त<br> |
| + | |
| + | विच्छेद<br> |
| + | |
| + | अजादि = अच् + आदि<br> |
| + | |
| + | ट् के स्थान पर ड्<br> |
| + | |
| + | के षट् + आनन = षडानन<br> |
| + | |
| + | षट् + यन्त्र = षड्यन्त्र<br> |
| + | |
| + | विच्छेद<br> |
| + | |
| + | षड्दर्शन = षट् + दर्शन<br> |
| + | |
| + | षड्विकार = षट् + विकार<br> |
| + | |
| + | षडंग = षट् + अंग<br> |
| + | |
| + | त् का द्<br> |
| + | |
| + | सत् + आचार = सदाचार<br> |
| + | |
| + | उत् + यान = उद्यान<br> |
| + | |
| + | तत् + उपरान्त = तदुपरान्त<br> |
| + | |
| + | विच्छेद<br> |
| + | |
| + | सदाशय = सत् + आशय<br> |
| + | |
| + | तदनन्तर = तत् + अनन्तर<br> |
| + | |
| + | उद्घाटन = उत् + घाटन<br> |
| + | |
| + | जगदम्बा = जगत् + अम्बा<br> |
| + | |
| + | प् का ब्<br> |
| + | |
| + | अप् + द = अब्द<br> |
| + | |
| + | विच्छेद<br> |
| + | |
| + | अब्ज = अप् + ज<br> |
| + | |
| + | 2.क्, च्, ट्, त्, प् के साथ किसी भी नासिक वर्ण (ङ,ञ, ज, ण, न, म) के मेल पर क् के स्थान पर ङ्, च् के स्थान पर ज्, ट् के स्थान पर ण्,<br> |
| + | त् के स्थान पर न्<br> |
| + | तथा प्<br> |
| + | |
| + | के स्थान पर म् बन जायेंगे। यथा<br> |
| + | |
| + | क् का ङ्<br> |
| + | |
| + | वाक् + मय = वाङ्मय<br> |
| + | |
| + | दिक् + नाग = दिङ्नाग<br> |
| + | |
| + | विच्छेद<br> |
| + | |
| + | दिङ्मण्डल = दिक् + मण्डल<br> |
| + | |
| + | प्राङ्मुख = प्राक् + मुख<br> |
| + | |
| + | ट् का ण्<br> |
| + | |
| + | षट् + मास = षण्मास<br> |
| + | |
| + | षट् + मूर्ति = षण्मूर्ति<br> |
| + | |
| + | विच्छेद<br> |
| + | |
| + | षण्मुख = षट् + मुख<br> |
| + | |
| + | षाण्मासिक = षट् + मासिक<br> |
| + | |
| + | त् का न्<br> |
| + | |
| + | उत् + नति = उन्नति<br> |
| + | |
| + | जगत् + नाथ = जगन्नाथ<br> |
| + | |
| + | उत् + मूलन = उन्मूलन<br> |
| + | |
| + | विच्छेद<br> |
| + | |
| + | जगन्माता = जगत् + माता<br> |
| + | |
| + | उन्नायक = उत् + नायक<br> |
| + | |
| + | विद्वन्मण्डली = विद्वत् + मण्डली<br> |
| + | |
| + | प् का म्<br> |
| + | |
| + | अप् + मय = अम्मय<br> |
| + | |
| + | 3.म् के साथ क से म तक के किसी भी<br> |
| + | वर्ण के मेल पर ‘म्’ के<br> |
| + | स्थान पर मिलने<br> |
| + | |
| + | वाले वर्ण का अन्तिम नासिक वर्ण बन जायेगा। आजकल नासिक<br> |
| + | वर्ण के स्थान पर अनुस्वार (-) भी मान्य हो गया है। यथा<br> |
| + | म् + क ख ग घ ङ<br> |
| + | |
| + | सम् + कल्प = संकल्प/सटड्ढन्ल्प<br> |
| + | |
| + | सम् + ख्या = संख्या<br> |
| + | |
| + | सम् + गम = संगम<br> |
| + | |
| + | सम् + घर्ष = संघर्ष<br> |
| + | |
| + | विच्छेद<br> |