Changes

Jump to navigation Jump to search
5,390 bytes added ,  03:53, 16 December 2016
no edit summary
Line 30: Line 30:  
=भाषा गतिविधियों / परियोजनाओं=
 
=भाषा गतिविधियों / परियोजनाओं=
 
=पाठ प्रतिक्रिया=
 
=पाठ प्रतिक्रिया=
 +
=महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ=
 +
I. मौखिक प्रश्न :
 +
1. ‘प्रभो ! ’ कविता को किसने लिखा है ?
 +
उत्तर : ‘प्रभो ! ’ कविता को जयशंकर प्रसाद ने लिखा है ।
 +
2. भगवान की प्रशंसा का राग कौन गा रही है ?
 +
उत्तर : भगवान की प्रशंसा का राग तरंगमालाएँ गा रही है ।
 +
3.प्रसाद जी की किन्हीं दो प्रमुख रचनाओं के नाम बताइए ।
 +
उत्तर : प्रसाद जी की किन्हीं दो प्रमुख रचनाओं के नाम हैं कामायनी और कानन कुसुम ।
 +
 +
II. लिखित प्रश्न :
 +
1. विमल इन्दु की विशाल किरणें क्या बता रही हैं ?
 +
उत्तर :विमल इन्दु की विशाल किरणें प्रभो ! का प्रकाश बता रही हैं।
 +
2. प्रभु की अनंत माया जगत् को क्या दिखा रही है ?
 +
उत्तर : प्रभु की अनंत माया जगत् को लीला दिखा रही है ।
 +
3. भगवान की दया से क्या होता है ?
 +
उत्तर : भगवान की दया से सभी का मनोरथ पूर्ण होता है ।
 +
4. जयशंकर प्रसाद जी का जन्म कहाँ हुआ ?
 +
उत्तर : जयशंकर प्रसाद जी का जन्म काशी में हुआ।
 +
 +
आ. दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :
 +
1. सभी का मनोरथ कैसे पूर्ण होता है ?
 +
उत्तर : दया- दयानिधि )भगवान) की प्रार्थना करने से  सभी का मनोरथ पूर्ण होता है।
 +
2. प्रभु की दया को कौन दर्शा रहा है ?
 +
उत्तर : प्रभु की दया को चाँद, चाँदनी, सूरज तथा सागर की तरंगमालाएँ दर्शा रही हैं।
 +
3. प्रसाद जी की प्रमुख रचनाएँ कौन-कौन सी हैं ?
 +
उत्तर : कानन कुसुम, झरना, आँसू, लहर कामायनी, आकाशदीप, आँधी, चन्द्रगुप्त,
 +
      ध्रुवस्वामिनी, कंकाल, इरावती तितली आदि।
 +
 +
 +
इ. दोनों खंड़ों को जोड़कर लिखिए।
 +
1. अनादि तेरी अनंत माया      जगत् को लीला दिखा रही है !
 +
2. तेरी प्रशंसा का राग प्यारे    तरंगमालाएँ गा रही है ।
 +
3. जो तेरी होवे दया दयानिधि  तो पूर्ण होते सबके मनोरथ ।
 +
4. सभी ये कहते पुकार करके    यही तो आशा दिला रही है !
 +
 +
ई. रिक्त स्थान भरिए :
 +
1. जयशंकर प्रसाद जी का पहला काव्य–संग्रह है  कानन कुसुम ।
 +
2. विमल इन्दु  की विशाल किरणें भगवान का गुणगान कर रही हैं।
 +
3. भगवान की दया  सागर  के समान अगाध है ।
 +
4. भगवान की दया से  सभी का मनोरथ  पूर्ण होता है ।
 +
 +
उ. भावार्थ लिखिए :
 +
1. जो तेरी होवे दया दयानिधि
 +
  तो पूर्ण होते सबके मनोरथ
 +
  सभी ये कहते पुकार करके
 +
  यही तो आशा दिला रही है!
 +
 +
भावार्थ:-
 +
उपर्युक्त पंक्तियों को कवि जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित ‘प्रभो!’ नामक कविता भाग से लिया गया है।
 +
भगवान की दया मानव के जीवन पर किस प्रकार पड रही है, इसके बारे में प्रकाश डालते हुए
 +
कावि लिखते हैं कि - हे दयानिधि ! यदि आपकी दया हम पर रही तो हमारी पूरी मनोकामनाएँ
 +
पूर्ण हो आती हैं। इसलिए प्रभो! सभी ये कहते हुए, आपके प्रति आशा रखते हुए
 +
प्रार्थना कर रहे हैं।
45

edits

Navigation menu