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| =महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ= | | =महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ= |
| =महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ= | | =महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ= |
− | | + | '''I. मौखिक प्रश्न :'''<br> |
− | '''I. मौखिक प्रश्न :''' | |
| 1. ‘प्रभो ! ’ कविता को किसने लिखा है ?<br> | | 1. ‘प्रभो ! ’ कविता को किसने लिखा है ?<br> |
| उत्तर : ‘प्रभो ! ’ कविता को जयशंकर प्रसाद ने लिखा है ।<br> | | उत्तर : ‘प्रभो ! ’ कविता को जयशंकर प्रसाद ने लिखा है ।<br> |
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| उत्तर : प्रसाद जी की किन्हीं दो प्रमुख रचनाओं के नाम हैं कामायनी और कानन कुसुम ।<br> | | उत्तर : प्रसाद जी की किन्हीं दो प्रमुख रचनाओं के नाम हैं कामायनी और कानन कुसुम ।<br> |
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− | '''II. लिखित प्रश्न :''' | + | '''II. लिखित प्रश्न :'''<br> |
| 1. विमल इन्दु की विशाल किरणें क्या बता रही हैं ?<br> | | 1. विमल इन्दु की विशाल किरणें क्या बता रही हैं ?<br> |
| उत्तर :विमल इन्दु की विशाल किरणें प्रभो ! का प्रकाश बता रही हैं।<br> | | उत्तर :विमल इन्दु की विशाल किरणें प्रभो ! का प्रकाश बता रही हैं।<br> |
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| उत्तर : जयशंकर प्रसाद जी का जन्म काशी में हुआ।<br> | | उत्तर : जयशंकर प्रसाद जी का जन्म काशी में हुआ।<br> |
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− | '''आ. दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :''' | + | '''आ. दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :'''<br> |
| 1. सभी का मनोरथ कैसे पूर्ण होता है ?<br> | | 1. सभी का मनोरथ कैसे पूर्ण होता है ?<br> |
| उत्तर : दया- दयानिधि )भगवान) की प्रार्थना करने से सभी का मनोरथ पूर्ण होता है।<br> | | उत्तर : दया- दयानिधि )भगवान) की प्रार्थना करने से सभी का मनोरथ पूर्ण होता है।<br> |
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| ध्रुवस्वामिनी, कंकाल, इरावती तितली आदि।<br> | | ध्रुवस्वामिनी, कंकाल, इरावती तितली आदि।<br> |
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− | '''इ. दोनों खंड़ों को जोड़कर लिखिए।''' | + | '''इ. दोनों खंड़ों को जोड़कर लिखिए।'''<br> |
| 1. अनादि तेरी अनंत माया जगत् को लीला दिखा रही है !<br> | | 1. अनादि तेरी अनंत माया जगत् को लीला दिखा रही है !<br> |
| 2. तेरी प्रशंसा का राग प्यारे तरंगमालाएँ गा रही है ।<br> | | 2. तेरी प्रशंसा का राग प्यारे तरंगमालाएँ गा रही है ।<br> |
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| 4. भगवान की दया से सभी का मनोरथ पूर्ण होता है ।<br> | | 4. भगवान की दया से सभी का मनोरथ पूर्ण होता है ।<br> |
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− | '''उ. भावार्थ लिखिए :''' | + | '''उ. भावार्थ लिखिए :'''<br> |
− | 1. जो तेरी होवे दया दयानिधि<br> | + | 1.जो तेरी होवे दया दयानिधि<br> |
− | तो पूर्ण होते सबके मनोरथ<br>
| + | तो पूर्ण होते सबके मनोरथ<br> |
− | सभी ये कहते पुकार करके<br>
| + | सभी ये कहते पुकार करके<br> |
− | यही तो आशा दिला रही है!<br>
| + | यही तो आशा दिला रही है!<br> |
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− | '''भावार्थ:-''' | + | '''भावार्थ:-'''<br> |
| उपर्युक्त पंक्तियों को कवि जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित ‘प्रभो!’ नामक कविता भाग से लिया गया है। <br> | | उपर्युक्त पंक्तियों को कवि जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित ‘प्रभो!’ नामक कविता भाग से लिया गया है। <br> |
| भगवान की दया मानव के जीवन पर किस प्रकार पड रही है, इसके बारे में प्रकाश डालते हुए <br> | | भगवान की दया मानव के जीवन पर किस प्रकार पड रही है, इसके बारे में प्रकाश डालते हुए <br> |