Changes

Jump to navigation Jump to search
5,532 bytes added ,  11:13, 19 December 2016
Line 28: Line 28:  
==व्याकरण / सजावट / पिंगल==
 
==व्याकरण / सजावट / पिंगल==
 
=मूल्यांकन=
 
=मूल्यांकन=
 +
'''I. मौखिक प्रश्न :'''<br>
 +
1. ‘प्रभो ! ’ कविता को किसने लिखा है ?<br>
 +
उत्तर : ‘प्रभो ! ’ कविता को जयशंकर प्रसाद ने लिखा है ।<br>
 +
2. भगवान की प्रशंसा का राग कौन गा रही है ?<br>
 +
उत्तर : भगवान की प्रशंसा का राग तरंगमालाएँ गा रही है ।<br>
 +
3.प्रसाद जी की किन्हीं दो प्रमुख रचनाओं के नाम बताइए ।<br>
 +
उत्तर : प्रसाद जी की किन्हीं दो प्रमुख रचनाओं के नाम हैं कामायनी और कानन कुसुम ।<br>
 +
 +
'''II. लिखित प्रश्न :'''<br>
 +
1. विमल इन्दु की विशाल किरणें क्या बता रही हैं ?<br>
 +
उत्तर :विमल इन्दु की विशाल किरणें प्रभो ! का प्रकाश बता रही हैं।<br>
 +
2. प्रभु की अनंत माया जगत् को क्या दिखा रही है ?<br>
 +
उत्तर : प्रभु की अनंत माया जगत् को लीला दिखा रही है ।<br>
 +
3. भगवान की दया से क्या होता है ?<br>
 +
उत्तर : भगवान की दया से सभी का मनोरथ पूर्ण होता है ।<br>
 +
4. जयशंकर प्रसाद जी का जन्म कहाँ हुआ ?<br>
 +
उत्तर : जयशंकर प्रसाद जी का जन्म काशी में हुआ।<br>
 +
 +
'''आ. दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :'''<br>
 +
1. सभी का मनोरथ कैसे पूर्ण होता है ?<br>
 +
उत्तर : दया- दयानिधि )भगवान) की प्रार्थना करने से  सभी का मनोरथ पूर्ण होता है।<br>
 +
2. प्रभु की दया को कौन दर्शा रहा है ?<br>
 +
उत्तर : प्रभु की दया को चाँद, चाँदनी, सूरज तथा सागर की तरंगमालाएँ दर्शा रही हैं।<br>
 +
3. प्रसाद जी की प्रमुख रचनाएँ कौन-कौन सी हैं ?<br>
 +
उत्तर : कानन कुसुम, झरना, आँसू, लहर कामायनी, आकाशदीप, आँधी, चन्द्रगुप्त,<br>
 +
ध्रुवस्वामिनी, कंकाल, इरावती तितली आदि।<br>
 +
 +
'''इ. दोनों खंड़ों को जोड़कर लिखिए।'''<br>
 +
1. अनादि तेरी अनंत माया      जगत् को लीला दिखा रही है !<br>
 +
2. तेरी प्रशंसा का राग प्यारे    तरंगमालाएँ गा रही है ।<br>
 +
3. जो तेरी होवे दया दयानिधि  तो पूर्ण होते सबके मनोरथ ।<br>
 +
4. सभी ये कहते पुकार करके    यही तो आशा दिला रही है ! <br>
 +
 +
'''ई. रिक्त स्थान भरिए :'''<br>
 +
1. जयशंकर प्रसाद जी का पहला काव्य–संग्रह है  कानन कुसुम ।<br>
 +
2. विमल इन्दु  की विशाल किरणें भगवान का गुणगान कर रही हैं।<br>
 +
3. भगवान की दया  सागर  के समान अगाध है ।<br>
 +
4. भगवान की दया से  सभी का मनोरथ  पूर्ण होता है ।<br>
 +
 +
'''उ. भावार्थ लिखिए :'''<br>
 +
1.जो तेरी होवे दया दयानिधि<br>
 +
तो पूर्ण होते सबके मनोरथ<br>
 +
सभी ये कहते पुकार करके<br>
 +
यही तो आशा दिला रही है!<br>
 +
 +
'''भावार्थ:-'''<br>
 +
उपर्युक्त पंक्तियों को कवि जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित ‘प्रभो!’ नामक कविता भाग से लिया गया है। <br>
 +
भगवान की दया मानव के जीवन पर किस प्रकार पड रही है, इसके बारे में प्रकाश डालते हुए <br>
 +
कावि लिखते हैं कि - हे दयानिधि ! यदि आपकी दया हम पर रही तो हमारी पूरी मनोकामनाएँ <br>
 +
पूर्ण हो आती हैं। इसलिए प्रभो! सभी ये कहते हुए, आपके प्रति आशा रखते हुए <br>
 +
प्रार्थना कर रहे हैं।<br>
 +
 
=भाषा गतिविधियों / परियोजनाओं=
 
=भाषा गतिविधियों / परियोजनाओं=
 
=पाठ प्रतिक्रिया=
 
=पाठ प्रतिक्रिया=
45

edits

Navigation menu