Line 22: |
Line 22: |
| ==व्याकरण / सजावट / पिंगल== | | ==व्याकरण / सजावट / पिंगल== |
| =मूल्यांकन= | | =मूल्यांकन= |
| + | '''I. मौखिक प्रश्न :'''<br> |
| + | 1. कवि किसे प्रणाम कर रहे हैं ?<br> |
| + | उत्तर : कवि मातृभूमि को प्रणाम कर रहे हैं।<br> |
| + | 2. भारत माँ के हाथों में क्या है ?<br> |
| + | उत्तर : भारत माँ के हाथों में न्याय पताका तथा ज्ञान-दीप हैं।<br> |
| + | 3. आज माँ के साथ कौन है ?<br> |
| + | उत्तर : आज माँ के साथ कोटि-कोटि भारतवासी हैं।<br> |
| + | 4. सभी ओर क्या गूँज उठा है ?<br> |
| + | उत्तर : सभी ओर जय-हिंद के नाद का गूँज उठा है।<br> |
| + | |
| + | '''II. लिखित प्रश्न :''' <br> |
| + | अ. एक वाक्य में उत्तर लिखिए :<br> |
| + | 1. भारत के खेत कैसे हैं ?<br> |
| + | उत्तर : भारत के खेत हरे-भरे तथा सुहाने हैं।<br> |
| + | 2. भारत भूमि के अंदर क्या-क्या भरा हुआ है ?<br> |
| + | उत्तर : भारत भूमि के अंदर खनिजों का व्यापक धन भरा हुआ है।<br> |
| + | 3. सुख-संपत्ति, धन-धाम को माँ कैसे बाँट रही है ?<br> |
| + | उत्तर : सुख-संपत्ति, धन-धाम को माँ मुक्त हस्त से बाँट रही है।<br> |
| + | 4. जग के रूप को बदलने के लिए कवि किससे निवेदन करते हैं ?<br> |
| + | उत्तर : जग के रूप को बदलने के लिए कवि भारत माता निवेदन करते हैं।<br> |
| + | 5. ‘जय-हिंद’ का नाद कहाँ-कहाँ पर गूँजना चाहिए ?<br> |
| + | उत्तर : ‘जय-हिंद’ का नाद भारत के सकल नगर और ग्राम में गूँजना चाहिए।<br> |
| + | |
| + | '''आ. दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए :'''<br> |
| + | 1. भारत माँ के प्रकृति-सौंदर्य का वर्णन कीजिए ।<br> |
| + | उत्तर : भारत माँ के यहाँ हरे-भरे खेत, फल-फूलों से युत वन-उपवन तथा खनिजों का व्यापक धन है। इस प्रकार प्राकृतिक सौंदर्य ने सबको मोह लिया है । |
| + | 2. मातृभूमि का स्वरूप कैसे सुशोभित है ?<br> |
| + | उत्तर : मातृभूमि अमरों की जननी है। उसके ह्रदय में गांधी, बुद्ध और राम समायित हैं। माँ के एक हाथ में न्याय पताका तथा दूसरे हाथ में ज्ञान दीप है। इस प्रकार मातृभूमि का स्वरूप सुशोभित है ।<br> |
| + | |
| + | '''इ. दोनों खंड को जोड़कर लिखिए :'''<br> |
| + | 1. तेरे उर में शायित गांधी, बुध्द और राम <br> |
| + | 2. फल-फूलों से युत वन-उपवन<br> |
| + | 3. एक हाथ में न्याय-पताका<br> |
| + | 4. कोटि-कोटि हम आज साथ में<br> |
| + | 5. मातृ-भू शत-शत बार प्रणाम<br> |
| + | |
| + | |
| + | '''ई. रिक्त स्थान की पूर्ति कीजिए :'''<br> |
| + | 1. कवि मातृभूमि को शत-शत बार प्रणाम कर रहे हैं।<br> |
| + | 2. भारत माँ के उर में गांधी, बुध्द और राम शायित हैं। <br> |
| + | 3. वन, उपवन फल-फूलों से युक्त है।<br> |
| + | 4. मुक्त हस्त से मातृभूमि सुख-संपत्ति बाँट रही है।<br> |
| + | 5. सभी ओर जय-हिंद का नाद गूँज उठे।<br> |
| + | |
| + | |
| + | '''उ. भावार्थ लिखिए :'''<br> |
| + | एक हाथ में न्याय-पताका,<br> |
| + | ज्ञान-दीप दूसरे हाथ में,<br> |
| + | जग का रुप बदल दे, हे माँ,<br> |
| + | कोटि-कोटि हम आज साथ में ।<br> |
| + | गूँज उठे जय-हिंद नाद से – <br> |
| + | सकल नगर और ग्राम,<br> |
| + | मातृ-भू, शत-शतब बार प्रणाम ।<br> |
| + | |
| + | '''भावार्थ :'''<br> |
| + | उपर्युक्त पंक्तियों को कवि भगवतीचरण वर्मा द्वारा रचित ‘मातृभूमि’ नामक कविता भाग से |
| + | लिया गया है।कवि भारत माता की न्यायनिष्टा, ज्ञानशक्ति तथा महानता के बारे में बताते हुए |
| + | इस प्रकार लिखते हैं कि – हे भारत माता ! तेरे एक हाथ में न्याय की पताका तो दुसरे हाथ में |
| + | ज्ञान का दीपक है।अब तू संसार का रूप बदल दे माँ! आज हम करोड़ों भारतवासी तुम्हारे साथ |
| + | हैं। हे मा ! पूरे देश के गाँव-गाँव तथा नगर-नगर में ‘जय-हिंद’ का नाद गूँज उठे यही हमारी |
| + | आशा है। भारत माता तुम्हे सौ-सौ बार प्रणाम।<br> |
| + | |
| =भाषा गतिविधियों / परियोजनाओं= | | =भाषा गतिविधियों / परियोजनाओं= |
| =पाठ प्रतिक्रिया= | | =पाठ प्रतिक्रिया= |