शिक्षा

ಕರ್ನಾಟಕ ಮುಕ್ತ ಶೈಕ್ಷಣಿಕ ಸಂಪನ್ಮೂಲಗಳು ಇಂದ
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शिक्षा - ठाकुर गोपालशरण सिंह
१. परिकल्पना नक्षा
२.संदर्भ
३. द्धेश्य्
४. कवि परिचय
५. पाठयोजना
६. अतिरिक्त संसाधन
७. सारांश
१. परिकल्पना -१
किया कलाप् - १. संगीत साधनों का पहचान कराना
२.परिकल्पना- २
किया कलाप् - २. बच्चों से पतंग बनवाना |
३.परिकल्पना - ३
किया कलाप् -३ बच्चों से गायन कराना |
८. भाषा वैविद्य :
शब्दकोश्
व्याकरण
सुनना - बोलना
९. मूल्यांकन
१०. परियोजना


परिकल्पना नक्षा


संदर्भ
मनष्य पैदा होते ही कुछ सीखकर् नहीं आता| समय और प्रयत्न के साथ सीख लेते हैं| श्रम के बिना कुछ हासिल नहीं कर सकते|
इस कविता में कवि अनुभव के द्वारा शिक्षा पाने के अनेक उदाहरण दिये गये हैं|

जीवन में यश प्राप्त करने के लिए अनेक प्रकार की मुसीबतॊं का सामना करना पडता हैं| बिन परिश्रम के हम कभी सुख प्राप्त नहीं कर सकते|
उद्देश्य

उद्देश्य: सामान्य : १. रसग्रहण करना
२. प्रशंसा करना
३. कविताओं में रुची उत्पन्न करना|
४. शब्दकोश का उपयोग कराना |
५. राग ताल के साथ गायन करना |
विशिष्ट उद्देश्य : १. प्रयत्न से सफ़लता मिलती है|
२. कुछ पाने के लिए कुछ् खोना पडता है
३. यश की प्राप्ती आसान नहीं है|
४. कवी परिचय कराना |
कवि परिचय : ठाकुर गोपालशरण सिंह


जन्म स्थान : रीवाँ (झाँसी)
माता का नाम : प्रभुराज कुंवारी
पिता का नाम : ठाकूर जगत बहादूर सिंह था|
रचनाएँ : जगदालोक, माधवी, मानवी, कादंबिनी, ज्यॊतिष्मती, संचिता, सुमन, विश्वगीत और ग्रमिक आदि|

पाठयोजना
इस कविता के लिए ५ अवधि की आवश्यकता है |पहली अवधि में संगीत साधनों की पहचानने का क्रियाकलाप् |
दॊसरे अवधी में कविता पढते हुए राग संयोजन करेंगे | र्दॊसरा कियाकलाप् करेंगे | तीसरे अवधी में शब्दकोश का
उपयोग , ऒर भावार्थ करायेंगें | चॊते अवधी में अब्यास के प्रश्नोत्तर | पांचवे अवधी में अतिरिक्त गीत, आदी संसाधन
को दिखायेंगें | संसाधनों को बीच् में भी दिखा सकते हैं|
अतिरिक्त संसाधन :
१. बाँसुरी
२. सैनिक गीत click
३. रोना click
4. हँसना click