Difference between revisions of "तुलसी केदोहे"

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4. पाप का मूल क्या है ?<br>
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5. तुलसीदास के अनुसार विपत्ति के साथी कौन हैं ?<br>
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उत्तर :- तुलसीदास के अनुसार विपत्ति के साथी विध्या, विनय और विवेक हैं ।<br>
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1. मुखिया को मुख के समान होना चाहिए। कैसे?<br>
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पालै पोसै सकल अँग, तुलसी सहित विवेक ॥<br>
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तुलसीदास मुख और मुखिया के स्वभाव की समानता बताते हुए कहते हैं कि जिस प्रकार मुँह
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खाने-पीने का काम अकेला करता है और उससे ही शरीर के सारे अंगों का पालन-पोषण होता
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है। उसी प्रकार मुखिया को विवेकवान होकर सबके हित में काम करना चाहिए ।<br>
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2. तुलसी साथी विपत्ति के विध्या विनय विवेक ।<br>
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साहस सुकृति सुसत्यव्रत राम भरोसो एक ॥<br>
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प्रस्तुत दोहे में तुलसीदास कहते हैं कि जब मनुष्य पर संकट आता है तो तब विद्या, विनय
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और विवेक ही उसका साथ निभाते हैं। जो व्यक्ति राम पर भरोसा करता है, वह साहसी,
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सत्यव्रती और सुकृतवान बनता है।<br>
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Latest revision as of 09:58, 21 December 2016

परिकल्पना नक्षा

पृष्ठभूमि/संधर्भ

मुख्य उद्देष्य

कवि परिचय

गोस्वामी तुलसीदास [१४९७ - १६२३] एक महान कवि थे। उनका जन्म राजापुर क़स्बे (वर्तमान चित्रकूट जिला) उत्तर प्रदेश में हुआ था। कुछ विद्वान् आपका जन्म सम्वत्- 1568 विक्रमी में सोरों शूकरक्षेत्र में हुआ मानते हैं। अपने जीवनकाल में उन्होंने १२ ग्रन्थ लिखे। उन्हें संस्कृत विद्वान होने के साथ ही हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ठ कवियों में एक माना जाता है। उनको मूल आदि काव्य रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि का अवतार भी माना जाता है। श्रीरामचरितमानस वाल्मीकि रामायण का प्रकारान्तर से ऐसा अवधी भाषान्तर है जिसमें अन्य भी कई कृतियों से महत्वपूर्ण सामग्री समाहित की गयी थी। रामचरितमानस को समस्त उत्तर भारत में बड़े भक्तिभाव से पढ़ा जाता है। इसके बाद विनय पत्रिका उनका एक अन्य महत्वपूर्ण काव्य है। त्रेता युग के ऐतिहासिक राम-रावण युद्ध पर आधारित उनके प्रबन्ध काव्य रामचरितमानस को विश्व के १०० सर्वश्रेष्ठ लोकप्रिय काव्यों में ४६वाँ स्थान दिया गया।

अधिक जानकारी के लिये यहाँ क्लिक कीजिये

अतिरिक्त संसाधन

सारांश

तुलसीदास के दोहे पढने के लिये यहाँ क्लिक कीजिये।

परिकल्पना

शिक्षक के नोट

गतिविधि

  1. विधान्/प्रक्रिया
  2. समय
  3. सामग्री / संसाधन
  4. कार्यविधि
  5. चर्चा सवाल

भाषा विविधता

शब्दकॊश

व्याकरण / सजावट / पिंगल

मूल्यांकन

I. मौखिक प्रश्न:
1. तुलसीदास मुख को क्या मानते हैं ?
उत्तर :- तुलसीदास मुख को मुखिया मानते हैं ।
2. मुखिया को किसके समान रहना चाहिए ?
उत्तर :- मुखिया को मुँह के समान रहना चाहिए ।
3. हंस का गुण कैसा होता है ?
उत्तर :- हंस पानी को छोडकर सिर्फ दूध को अपनाता है ।
4. मुख किसका पालन-पोषण करता है ?
उत्तर :- मुख शरीर के सारे अंगों का पालन-पोषण करता है ।
5. दया किसका मूल है ?
उत्तर :- दया धर्म का मूल है ।

II. लिखित प्रश्न:
अ. एक वाक्य में उत्तर लिखिए :
1. तुलसीदास किस शाखा के कवि हैं ?
उत्तर :- तुलसीदास रामभक्ति शाखा के कवि हैं ।
2. तुलसीदास के माता-पिता का नाम क्या था ?
उत्तर :- तुलसीदास के पिता का नाम आत्माराम और माता का नाम हुलसी था ।
3. तुलसीदास के बचपन का नाम क्या था ?
उत्तर :- तुलसीदास के बचपन का नाम रामबोला था ।
4. पाप का मूल क्या है ?
उत्तर :- पाप का मूल अभिमान है ।
5. तुलसीदास के अनुसार विपत्ति के साथी कौन हैं ?
उत्तर :- तुलसीदास के अनुसार विपत्ति के साथी विध्या, विनय और विवेक हैं ।


आ. दो-तीन वाक्यों में उत्तर लिखिए:
1. मुखिया को मुख के समान होना चाहिए। कैसे?
उत्तर :- जिस प्रकार मुँह खाने-पीने का काम अकेला करता है और उससे ही शरीर के सारे अंगों का पालन-पोषण होता है। उसी प्रकार मुखिया को विवेकवान होकर सबके हित में काम करना चाहिए ।
2. मनुष्य को हंस की तरह क्या करना चाहिए ?
उत्तर :- जैसे हंस पानी को त्याग कर दूध को स्वीकार लेता है। उसी प्रकार मनुष्य को भी संसार में निहित दोषों एवं विकारों को छोडकर दूध रुपी अच्छे गुणों को अपनाना चाहिए ।
3. मनुष्य के जीवन में प्रकाश कब फैलता है ?
उत्तर :- राम नाम को जपने से मानव की आंतरिक और बाह्य शुध्दि होती है, ऐसे करने से मनुष्य के जीवन में चारों ओर प्रकाश फैलता है ।

इ. भावार्थ लिखिए:
1. मुखिया मुख सों चाहिए, खान पान को एक ।
पालै पोसै सकल अँग, तुलसी सहित विवेक ॥
भावार्थ :-
तुलसीदास मुख और मुखिया के स्वभाव की समानता बताते हुए कहते हैं कि जिस प्रकार मुँह खाने-पीने का काम अकेला करता है और उससे ही शरीर के सारे अंगों का पालन-पोषण होता है। उसी प्रकार मुखिया को विवेकवान होकर सबके हित में काम करना चाहिए ।

2. तुलसी साथी विपत्ति के विध्या विनय विवेक ।
साहस सुकृति सुसत्यव्रत राम भरोसो एक ॥
भावार्थ :-
प्रस्तुत दोहे में तुलसीदास कहते हैं कि जब मनुष्य पर संकट आता है तो तब विद्या, विनय और विवेक ही उसका साथ निभाते हैं। जो व्यक्ति राम पर भरोसा करता है, वह साहसी, सत्यव्रती और सुकृतवान बनता है।

भाषा गतिविधियों / परियोजनाओं

पाठ प्रतिक्रिया