Difference between revisions of "मेरि अभिलाषा है"

From Karnataka Open Educational Resources
Jump to navigation Jump to search
(Created page with "===कवि का परिचय=== द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी (१ दिसम्बर १९१६ - २९ अगस्त...")
 
Line 1: Line 1:
===कवि का परिचय===
+
=परिकल्पना नक्षा=
 +
=पृष्ठभूमि/संधर्भ=
 +
=मुख्य उद्देष्य=
 +
=कवि परिचय=
 
द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी (१ दिसम्बर १९१६ - २९ अगस्त १९९८) हिन्दी के साहित्यकार थे। उनका जन्म आगरा के रोहता में हुआ था। शिक्षा और कविता को समर्पित द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी का जीवन बहुत ही चित्ताकर्षक और रोचक है। उनकी कविता का प्रभाव सुप्रसिद्ध बाल साहित्यकार कृष्ण विनायक फड़के ने अपनी अंतिम इच्छा के रूप में प्रकट किया कि उनकी मृत्यु के पश्चात उनकी शवयात्रा में माहेश्वरी जी का बालगीत 'हम सब सुमन एक उपवन के' गाया जाए। फड़के जी का मानना था कि अंतिम समय भी पारस्परिक एकता का संदेश दिया जाना चाहिए। उत्तर प्रदेश सूचना विभाग ने अपनी होर्डिगों में प्राय: सभी जिलों में यह गीत प्रचारित किया और उर्दू में भी एक पुस्तक प्रकाशित हुई, जिसका शीर्षक था, 'हम सब फूल एक गुलशन के', लेकिन वह दृश्य सर्वथा अभिनव और अपूर्व था जिसमें एक शवयात्रा ऐसी निकली जिसमें बच्चे मधुर धुन से गाते हुए चल रहे थे, 'हम सब सुमन एक उपवन के'। किसी गीत को इतना बड़ा सम्मान, माहेश्वरी जी की बालभावना के प्रति आदर भाव ही था। उनका ऐसा ही एक और कालजयी गीत है- वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो। उन्होंने बाल साहित्य पर 26 पुस्तकें लिखीं। इसके अतिरिक्त पांच पुस्तकें नवसाक्षरों के लिए लिखीं। उन्होंने अनेक काव्य संग्रह और खंड काव्यों की भी रचना की।
 
द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी (१ दिसम्बर १९१६ - २९ अगस्त १९९८) हिन्दी के साहित्यकार थे। उनका जन्म आगरा के रोहता में हुआ था। शिक्षा और कविता को समर्पित द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी का जीवन बहुत ही चित्ताकर्षक और रोचक है। उनकी कविता का प्रभाव सुप्रसिद्ध बाल साहित्यकार कृष्ण विनायक फड़के ने अपनी अंतिम इच्छा के रूप में प्रकट किया कि उनकी मृत्यु के पश्चात उनकी शवयात्रा में माहेश्वरी जी का बालगीत 'हम सब सुमन एक उपवन के' गाया जाए। फड़के जी का मानना था कि अंतिम समय भी पारस्परिक एकता का संदेश दिया जाना चाहिए। उत्तर प्रदेश सूचना विभाग ने अपनी होर्डिगों में प्राय: सभी जिलों में यह गीत प्रचारित किया और उर्दू में भी एक पुस्तक प्रकाशित हुई, जिसका शीर्षक था, 'हम सब फूल एक गुलशन के', लेकिन वह दृश्य सर्वथा अभिनव और अपूर्व था जिसमें एक शवयात्रा ऐसी निकली जिसमें बच्चे मधुर धुन से गाते हुए चल रहे थे, 'हम सब सुमन एक उपवन के'। किसी गीत को इतना बड़ा सम्मान, माहेश्वरी जी की बालभावना के प्रति आदर भाव ही था। उनका ऐसा ही एक और कालजयी गीत है- वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो। उन्होंने बाल साहित्य पर 26 पुस्तकें लिखीं। इसके अतिरिक्त पांच पुस्तकें नवसाक्षरों के लिए लिखीं। उन्होंने अनेक काव्य संग्रह और खंड काव्यों की भी रचना की।
  
Line 5: Line 8:
  
 
सोर्स एवम अधिक जानकारी- [https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE_%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A6_%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%80 क्लिक कीजिये]
 
सोर्स एवम अधिक जानकारी- [https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE_%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A4%BE%E0%A4%A6_%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%80 क्लिक कीजिये]
 +
 +
=अतिरिक्त संसाधन=
 +
=सारांश=
 +
=परिकल्पना=
 +
==शिक्षक के नोट==
 +
==गतिविधि==
 +
#विधान्/प्रक्रिया
 +
#समय
 +
#सामग्री / संसाधन
 +
#कार्यविधि
 +
#चर्चा सवाल
 +
 +
=भाषा विविधता=
 +
==शब्दकॊश==
 +
==व्याकरण / सजावट / पिंगल==
 +
=मूल्यांकन=
 +
=भाषा गतिविधियों / परियोजनाओं=
 +
=पाठ प्रतिक्रिया=

Revision as of 10:54, 4 May 2016

परिकल्पना नक्षा

पृष्ठभूमि/संधर्भ

मुख्य उद्देष्य

कवि परिचय

द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी (१ दिसम्बर १९१६ - २९ अगस्त १९९८) हिन्दी के साहित्यकार थे। उनका जन्म आगरा के रोहता में हुआ था। शिक्षा और कविता को समर्पित द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी का जीवन बहुत ही चित्ताकर्षक और रोचक है। उनकी कविता का प्रभाव सुप्रसिद्ध बाल साहित्यकार कृष्ण विनायक फड़के ने अपनी अंतिम इच्छा के रूप में प्रकट किया कि उनकी मृत्यु के पश्चात उनकी शवयात्रा में माहेश्वरी जी का बालगीत 'हम सब सुमन एक उपवन के' गाया जाए। फड़के जी का मानना था कि अंतिम समय भी पारस्परिक एकता का संदेश दिया जाना चाहिए। उत्तर प्रदेश सूचना विभाग ने अपनी होर्डिगों में प्राय: सभी जिलों में यह गीत प्रचारित किया और उर्दू में भी एक पुस्तक प्रकाशित हुई, जिसका शीर्षक था, 'हम सब फूल एक गुलशन के', लेकिन वह दृश्य सर्वथा अभिनव और अपूर्व था जिसमें एक शवयात्रा ऐसी निकली जिसमें बच्चे मधुर धुन से गाते हुए चल रहे थे, 'हम सब सुमन एक उपवन के'। किसी गीत को इतना बड़ा सम्मान, माहेश्वरी जी की बालभावना के प्रति आदर भाव ही था। उनका ऐसा ही एक और कालजयी गीत है- वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो। उन्होंने बाल साहित्य पर 26 पुस्तकें लिखीं। इसके अतिरिक्त पांच पुस्तकें नवसाक्षरों के लिए लिखीं। उन्होंने अनेक काव्य संग्रह और खंड काव्यों की भी रचना की।

बच्चों के कवि सम्मेलन का प्रारंभ और प्रवर्तन करने वालों के रूप में द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी का योगदान अविस्मरणीय है। वह उप्र के शिक्षा सचिव थे। उन्होंने शिक्षा के व्यापक प्रसार और स्तर के उन्नयन के लिए अनथक प्रयास किए। उन्होंने कई कवियों के जीवन पर वृत्त चित्र बनाकर उन्हे याद करते रहने के उपक्रम दिए। सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' जैसे महाकवि पर उन्होंने बड़े जतन से वृत्त चित्र बनाया। यह एक कठिन कार्य था, लेकिन उसे उन्होंने पूरा किया। बड़ों के प्रति आदर-सम्मान का भाव माहेश्वरी जी जितना रखते थे उतना ही प्रेम उदीयमान साहित्यकारों को भी देते थे। उन्होंने आगरा को अपना काव्यक्षेत्र बनाया। केंद्रीय हिंदी संस्थान को वह एक तीर्थस्थल मानते थे। इसमें प्राय: भारतीय और विदेशी हिंदी छात्रों को हिंदी भाषा और साहित्य का ज्ञान दिलाने में माहेश्वरी जी का अवदान हमेशा याद किया जाएगा। वह गृहस्थ संत थे।

सोर्स एवम अधिक जानकारी- क्लिक कीजिये

अतिरिक्त संसाधन

सारांश

परिकल्पना

शिक्षक के नोट

गतिविधि

  1. विधान्/प्रक्रिया
  2. समय
  3. सामग्री / संसाधन
  4. कार्यविधि
  5. चर्चा सवाल

भाषा विविधता

शब्दकॊश

व्याकरण / सजावट / पिंगल

मूल्यांकन

भाषा गतिविधियों / परियोजनाओं

पाठ प्रतिक्रिया