प्रभो !
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कवि परिचय
जयशंकर प्रसाद पहले ब्रजभाषा की कविताएँ लिखा करते थे जिनका संग्रह ‘चित्राधार’ में हुआ है। संवत् 1970 से वे खड़ी बोली की ओर आए और ‘कानन कुसुम’, ‘महाराणा का महत्त्व’, ‘करुणालय’ और ‘प्रेमपथिक’ प्रकाशित हुए। ‘कानन कुसुम’ में तो प्राय: उसी ढंग की कविताएँ हैं जिस ढंग की द्विवेदीकाल में निकला करती थीं। ‘महाराणा का महत्त्व’ और ‘प्रेमपथिक’ (सं. 1970) अतुकांत रचनाएँ हैं जिसका मार्ग पं. श्रीधर पाठक पहले दिखा चुके थे।
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अतिरिक्त संसाधन
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